________________
....१६७
१६. जैनधर्म की प्राचीनता और सार्वभौमिकता
डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री एम०ए०पी०एच०डी० .... २०. बीसवीं सदी विक्रमी के जैन सन्त योगी श्रीमद् राजचन्द्रजी
श्री कस्तूरमल बांठिया २१. जैन ज्योतिप के प्राचीनतमत्व पर सक्षिप्त विवेचन
वैद्य प्रकाश चन्द्र पांड्या, प्रायुर्वेदाचार्य २२. राजस्थान के कतिपय प्रमुख दिगम्बर जैन मंदिर
अनूपचन्द्र न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न २३. जैन दर्शन के प्रमुख प्रवक्ता प्राचार्य समन्तभद्र
प्रो० उदयचन्द्र जैन एम०ए. २४. प्रातः स्मरणीय सन्त गणेश वर्णी
नीरज जैन २५. आगमों और त्रिपिटकों के संदर्भ में अभयकुमार
मुनि श्री नगराजजा २६. भारत की जैन जातियाँ
भंवरलाल पोल्याका जैनदर्शनाचार्य
तृतीय खण्ड ( साहित्य, धर्म और दर्शन )
...२६५
..."२८७
१. जैनदर्शन, पाश्चात्य दर्शन और विज्ञान में : आकाश और काल ___ मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी द्वितीय २. भूधरदास कृत पार्श्वपुराण और उसमें पशु-पक्षि वर्णन ___ डा. महेन्द्र सागर प्रचन्डिया, एन०ए० पी०एच० डी० ३. समाधि योग
प्राचार्य श्री रजनीशजी ४. आचार्य सोमदेव और उनका यशस्तिलक चम्पू मुनि श्री विद्यानन्दजी महाराज
..."२६१ 1. जैन साहित्य में शान्त रस डा० नरेन्द्र भानावत एम०ए०पी०एच०डी०
... २६७ ६. साहित्य; व्युत्पत्ति और परिभाषा
डा० रवीन्द्र कुमार एम०ए०पी०एच०डी०
... ३०५
चार