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करते हैं तो उनको 'परमवीर चक्र', 'महावीर चक्र इत्यादि उपाधियों से सुशोभित किया जाता है। ___ चामुण्डराय के मार्ग दर्शन में केवल शूरवीरता ही नहीं बढ़ी बल्कि उनके काल में मैसूर राज्य में शिल्पकला, साहित्य, भवन निर्माण, व्यापार, खेती, सभी दिशाओं में खूब उन्नति हुई। कन्नड़ भाषा में बहुमूल्य ग्रन्थों व काव्यों की महान रचना हुई क्योंकि साहित्यकारों, कलाकारों, कवियों, इत्यादि का बड़ा मान था और राज्य की ओर से उनको उचित पुरस्कार मिलता था।
अपने गुरू की आज्ञा से चामुण्डराय ने बाहुबलि की एक ५७ फुट ऊंची विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया जो सुन्दरता व कला की दृष्टि से अपने किस्म की संसार भर में अद्वितीय प्रतिमा है । मैसूर राज्य में स्थित श्रवणबेलगोल नामक गांव में बाहुबलि की यह प्रतिमा एक पहाड़ी पर स्थित है और उसकी सुन्दरता को देखने के लिए संसार भर के यात्री श्रवणवेलगोल की यात्रा कर अपने को धन्य मानते हैं । बाहुबलि की यह प्रतिमा गोमटेश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध है। ___ प्यारे बालको, वीर सेनापति चामुण्डराय के समान तुम भी वीर, साहसी, परोपकारी, गुणग्राही बन कर अपनी प्यारी मातृभूमि का मुख उज्ज्वल करो।