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एकांकी
भामाशाह
स्थान-मेवाड़ की सीमा
चित्तौड़ की अोर प्यार और दुःख के साथ देखते हुए, अरावली की पहाड़ी पर महाराणा प्रताप, रानी पद्मावती, उन के बच्चे और सैनिक] महाराणा प्रताप- (मातृभूमि को शीश झुका कर)
बप्पारावल और संग्राम सिंह की वीर भूमि, तेरा यह पुत्र तुझे शत्रुओं की दासता से न बचा सका। इस लिए विवश हो कर विदा लेता हूं। मुझे आशीर्वाद दे कि फिर तुझे स्वतन्त्र करवा के मैं फिर तेरी पुण्य भूमि में लौट कर आऊं। (साथी सैनिकों से) मेरे दुःख के साथियो मैं कायर ही हूं जो मजबूर हो कर अपनी जन्मभूमि को दासता में
छोड़ कर जा रहा हूं। एक सैनिक-मेवाड़ को आप पर गर्व है । आप ऐसी
बात क्यों कहते हैं ? आप ने देश की रक्षा के लिए क्या नहीं किया ? सभी कुछ तो आहुति कर
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