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से युद्ध कर सकते हैं। प्रो. राममूर्ति, महाराणा प्रताभीष्म पितामह, अर्जुन, आदि प्रतापी योद्धा भी मांसाहार नहीं करते थे।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा० जोजिया पाल्डफील्ड ने भी कहा है कि यह विद्वानों ने खोज करके सिद्ध कर दिया है कि वनस्पति जाति के भोजन में वे सब गुण मौजूद हैं जो मनुष्य के शरीर, मन व वद्धि तीनों का बढ़िया से बढ़िया विकास कर सकते हैं। मेवा, अनाज, दूध, फल आदि में जबकि औसतन ८० से ८५ प्रतिशत शक्तिवर्धक अंश होता है, मांस, मछली और अंडे में २८ से ३० प्रतिशत से अधिक नहीं होता।
शाकाहार के विरुद्ध एक भी प्रमाण नहीं मिलता। तभी तो जार्ज बर्नार्ड शा ने कहा है कि मांस खाना अपने पेट को कब्रिस्तान बनाने के बराबर है। अब तो यूरोप में भी अधिक लोग शाकाहार करने लगे हैं।
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