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भूमिका धर्म क्या है और क्या नहीं है, इस सम्बन्ध में धार्मिक लोगों में भी बड़ा मतभेद है। फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि जो केवल अपने लिए जीता है, उस का जीवन घटिया है। इस के विपरीत जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं, वे महान हैं।
केवल धन या समृद्धि अपने में अन्तिम लक्ष्य नहीं हो सकते। जीवन का प्रतिमान बढ़ने के साथ-साथ हमें यह भी . बुद्धि पानी चाहिए कि हम बढ़ी हुई सुविधाओं का किस प्रकार . उपयोग करें। इसी को नैतिक बुद्धि कहते हैं। सब का वेतन बड़े, पर बढ़ा हुआ वेतन किस काम आए, अच्छी पुस्तकें खरीदने में या नशे की चीजें खरीदने में। इन्हीं बातों को समझने और जानने के लिए अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए, अच्छे लोगों का साथ करना चाहिए। इस नाते मैं इस साहित्य का स्वागत करता हूं।
---मन्मथनाथ गुप्त