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________________ - % 3D * * * भवनधिक ॥दिर सासा दन पर्याप्त रचना ४ २६. कुक्षान असं १भार अचर] पीता भ २ द्रि२ भवनाधिका देव सामादन अपर्याप्त रचना कश्शु विमिखी ४ कुमा कारपुर सा से २ १ कुमाअसवर अशुभ + + ॥ भवनत्रिक देव सस्य । ग्मिध्या दृष्टि रचना । ११ म घव १५ च१ भाश 4.00 मिश्र सं आहा - - भवनत्रिक +C+CALCAL । देव असंयत ६ १०४ (खी नव४ ४ चक्षु भार आदि पत्त SUCCCCCASSACRORANGACANCREAKI रचना २११ वि - - सौधम्म ईशांन देव रखना म४ च४ / ६६, २०७४ आदिके ज्ञान) । ४ मित्या दि । वै२ आदि भाषा | पीत +CARE सौधर्म ईशान देव पर्यास रचना आदिक संघ ६ । १० । ४ प त्र । 044 CCC शान मत्या-अस दि३, - - - - सौधर्म ईशान देव अपर्याप्त रखना ६ मिश्र] । म ला संभ६७।४।१।११ 41 मिखोर ४ अविर कार पुन मत्या |दि है २ । ४ कुचाच भार दिपीत आिदि। - 792
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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