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[ गोम्मटसार जीवका गाया १४७ बाहिर सूईवग्गं, अभंतर सूइवग्ग परिहीणं ।
जंबूबासविहत्ते, तेत्तियमेत्तारिण खंडाणि ।। बाह्य सूची का वर्ग विर्ष अभ्यंतर सूची का प्रमाण घटाए, जो प्रमाण रहै, ताको जंबूद्वीप का व्यास के वर्ग का भाग दीए, जो प्रमाण ग्रावे, तितने जंबूद्वीप समान खड जानने । अंत तें लगाइ, वाके सन्मुख अंत पर्यंत जेता सूधा क्षेत्र होइ, ताको बाह्य सूची कहिए । बहुरि आदि तें लगाइ, वाके सन्मुख मादि पर्यत जेता सूधा क्षेत्र होइ, ताकौं अभ्यंतर सूची कहिये । सो यहां लवण समुद्र विपै उदाहरण करि कहिये है
लवण समुद्र की बाह्य सूची पांच लाख योजन, ताका वर्ग कीजिये तब लाख गुणा पचीस लाख भया । बहुरि तिस ही की अभ्यंतर सूची एक लाख योजन, ताका वर्ग लाख गुणा लाख योजन, सो घटाये अवशेष लाख गुणा चौईस लाख, ताका जवूद्वीप का व्यास लाख योजन, ताका वर्ग लाख गुणा लाख योजन, ताका भाग दीजिए तव चौईस रहे, सो जंबूद्वीप समान चौबीस खंड लवण समुद्र विप जानने । जैसे ही सर्व द्वीप समुद्रनि विष साधने । इस साधन के अर्थि और भी प्रकार कहै है
रूऊण सला बारस, सलागगुरिणदे द वलयखंडाणि ।
बाहिरसूइ सलागा, कदी तदंताखिला खंडा ।। इहां व्यास विर्षे जितना लाख कह्या होइ, तितने प्रमाण शलाका जानना। सो एक घाटि शलाका को बारह शलाका करि गुणै, जबूद्वीप प्रमाण वलयखंड हो हैं। जैसे लवण समुद्रनि विष व्यास दोय लाख योजन है, तातै शलाका का प्रमाण दोय, तामै एक घटाए एक, ताका बारह शलाका का प्रमाण चौईस करि गुणे, चौईस खंड हो है । वहुरि बाह्य सूची संबंधी शलाका का वर्ग प्रमाण तीहि पर्यंत खंड हो है । जैसे लवण समुद्र विष बाह्य सूची पांच लाख योजन है । तातै, शलाका का प्रमाण पांच ताका वर्ग पचीस, सोई लवण समुद्र पर्यंत सर्व खंडनि का प्रमाण हो है । जबूद्वीप विप एक खंड अर लवण समुद्र विष चौवीस खंड, मिलि करि पचीस खड हो है । बहुरि और भी विधान कहै है
बाहिरसूईवलयवासूणा चउगुरिणट्ठावासहवा । इकलक्खवग्गभजिदा, जंबूसमवलयखंडाणि ॥१॥