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________________ ६.२] | गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ५१६ संख्यात गुणा है, उत्कृष्ट विशेष अधिक है । बहुरि सात अपकर्षनि करि प्रायु को बांधता जीव के छठा अपकर्ष विर्ष आयु का बंधने का जघन्य काल तिसतै सख्यातगुणा है, उत्कृष्ट विशेष अधिक है। बहुरि छह अपकर्षनि करि प्रायु को बांधता जीव के छठा अपकर्ष विष आयु बधने का जघन्य काल तिसतै सख्यातगुणा है; उत्कृष्ट किछु अधिक है । जैसे एक अपकर्ष करि आयु को बांधता जीव के तीहिं अपकर्ष के उत्कृष्ट काल पर्यंत बहत्तरि (७२) भेद हो हैं। तहां जघन्य तै उत्कृष्ट तो अधिक जानना । सो तिस विवक्षित जघन्य को संख्यात का भाग दीएं, जो पावै, सो विशेष का प्रमाण जानना । ताको जघन्य में जोडै उत्कृष्ट का प्रमाण हो है। बहुरि उत्कृष्ट तै पागला जघन्य, सख्यात गुणां जानना । जैसे यद्यपि सामान्यपने सबनि विर्षे काल अंतर्मुहुर्त मात्र है। तथापि हीनाधिकपना जानने को अनुक्रम कह्या है, जो अपकर्षनि विर्ष आयु का बंध होइ, तौ इतने इतने काल मात्र समयप्रबद्धनि करि बंध हो है । यह बहत्तरी भेदनि की रचना है । तहां आठ अपकर्षनि करि आयु बंधने की रचना विष पहिली पंक्ति के कोठानि विषै जो आठ - आठ का अंक है, ताका तो यह अर्थ जानना - जो आठ अपकर्षनि करि आयु बांधने वाले का इहां ग्रहण है । बहुरि दूसरी, तीसरी पंक्तिनि विर्ष आठ, सात आदि अंक है, तिनिका यह अर्थ - जो तिनि आठ अपकर्षनि करि बंध करने वाले जीव के पाठवा, सातवां आदि अपकर्षनि का ग्रहण है । तहा दूसरी पक्ति विष जघन्य काल अपेक्षा ग्रहण जानना । तीसरी पंक्ति विपै उत्कृष्ट काल अपेक्षा ग्रहण जानना । असै ही सात, छह, पाच, च्यारि, तीन, दोय, एक अपकर्षनि करि आयु बधने की रचना विष अर्थ जानना । आठौ रचनानि की दूसरी, तीसरी पक्तिनि के सर्व कोठे बहत्तरि हो है । इनि बहत्तरि स्थाननि विष आयु बंधने के काल का अल्प - बहुत्व जानना । मध्य भेदनि के ग्रहण निमित्त जघन्य उत्कृष्ट के वीचि बिंदी की सहनानी जाननी । असे आयु को बधने के योग्य, लेश्यानि का मध्यम आठ अश, तिनकी आठ अपकर्पनि करि उत्पत्ति का अनुक्रम कह्या । सेसट्ठारससा, चउगइ-गमणस्स कारणा होति । सुक्कुक्कस्संसमुदा, सव्वळें जांति खलु जीवा ॥५१॥ शेषाष्टादशांशाश्चतुर्गतिगमनस्य कारणानि भवन्ति । शुक्लोत्कृष्टांशमृताः, सर्वार्थं यान्ति खलु जीवाः ॥५१६॥
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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