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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[ ४७५ अर भागहार का अपवर्तन कीया । गुणकार तीन तीन परस्पर गुणे, नव का गुणकार भया । च्यारि, दोय, च्यारि, एक भागहारनि कौं परस्पर गुणे, बत्तीस का भागहार भया । जातै दोय, तीन, आदि राशि गुणकार भागहार विषे होय । तहा परस्पर गुणे, जेता प्रमाण होइ, तितना गुणकार वा भागहार तहा जानना । जैसे ही अन्यत्र भी समझना । बहुरि यामै एक गुणकार साधिक जघन्य का बत्तीसवा भागमात्र है। ताको जुदा स्थापि, अवशेष साधिक जघन्य को आठ का गुणकार, बत्तीस का भागहार रह्या, ताका अपवर्तन कीए, साधिक जघन्य का चौथा भाग भया । बहुरि प्रक्षेपक गच्छ प्रमाण है; सो साधिक जघन्य को एक बार उत्कृष्ट संख्यात का भाग दीएं प्रक्षेपक होइ । ताकौं उत्कृष्ट संख्यात का तीन चौथा भाग करि गुणना, तहा उत्कृष्ट संख्यात गुणकार भागहार का अपवर्तन कीए, साधिक जघन्य का तीन चौथा भागमात्र प्रमाण भया। यामै पूर्वोक्त एक चौथा भाग जोडे, साधिक जघन्य मात्र वृद्धि का प्रमाण भया । यामै मूल साधिक जघन्य जोडै, लब्ध्यक्षर दूरणा हो है । इहा प्रक्षेपक - प्रक्षेपक संबंधी ऋणराशि धनराशि ते संख्यात गुणा घाटि है । तातै साधिक जघन्य का बत्तीसवा भागमात्र धनराशिविष ऋणराशि घटावने को किचित् ऊन करि अवशेष पूर्वोक्त विष जोडे, साधिक दूणा हो है । बहुरि 'एक्कदालछप्पण्ण' कहिये, पूर्वोक्त संख्यात भागवृद्धि सयुक्त उत्कृष्ट सख्यात मात्र स्थाननि को छप्पन का भाग देइ, तिनि विष इकतालीस भागमात्र स्थान भये । तहां प्रक्षेपक अर प्रक्षेपक - प्रक्षेपक संबधी वृद्धि जोडे, लब्ध्यक्षर दूणा हो है । कैसे ?
सो कहिये है - साधिक जघन्य को उत्कृष्ट सख्यात का भाग दीएं, प्रक्षेपक होइ, सो प्रक्षेपक गच्छमात्र है । तात याको उत्कृष्ट सख्यात इकतालीस छप्पनवां भाग करि गुणे, उत्कृष्ट सख्यात का अपवर्तन कीए, साधिक जघन्य की इकतालीस का गुणकार छप्पन भागहार हो है। बहुरि प्रक्षेपक - प्रक्षेपक एक घाटि गच्छ का एक बार सकलन घनमात्र है। सो पूर्वोक्त सूत्र के अनुसारि साधिक जघन्य को दोय बार उत्कृष्ट सख्यात का भाग दीएं प्रक्षेपक प्रक्षेपक होड । ताकी एक घाटि इकतालीस गुणां उत्कृष्ट संख्यात अर इकतालीस गुणा उत्कृप्ट सस्यात का गुणकार अर छप्पन, दोय छप्पन, एक का भागहार भया । इहां एक घाटि संबन्धी ऋण साधिक जघन्य को इकतालीस का गुणकार अर उत्कृष्ट संख्यात एक मो वारा छप्पन का भागहार मात्र जुदा स्थापि, अवशेष विप दोय वार उत्कृष्ट मंच्यात का अपवर्तन कीएं, साधिक जघन्य की सोला सै ऽक्याती का गुणाकार पर