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________________ सम्यज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ] [ ३८५ भावार्थ - जो तरेसठि सै परमाणु का समय प्रबद्ध बंध्या था, ताकी स्थिति विर्षे आबाधाकाल भएं पीछे, पहले समय तिन परमाणूनि विषै पांच से बारह परमाणू निर्जरे है । जैसे अन्य समय संबंधी निषेकनि विर्ष उक्त प्रमाण परमाणूनि की निर्जरा होने का क्रम जानना । बहुरि 'तत्तोविसेसहीणकम' तातें ऊपरि-ऊपरि तिस गुणहानि के अंत निषेक पर्यंत एक-एक चय घटता अनुक्रम जानना । तहां प्रथम निषेक तै एक घाटि गच्छप्रमाण चय घटै, एक अधिक गुणहानि पायाम करि गुणित चय प्रमाण अंत निषेक हो है । सो इहां द्वितीयादि निषेकनि के विषै बत्तीस-बत्तीस घटावना । तहां एक घाटि गच्छ सात, तीहि प्रमाण चय के भये दोय सै चौबीस, सो इतने प्रथम निषेकनि तै घटै, अत निषेक विष दोय सै अठ्यासी प्रमाण हो है। सो एक अधिक गुणहानि नव, ताकरि चय बत्तीस को गुण भी दोय सै अठ्यासी हो है । जैसे प्रथम गुणहानि विष निषेक रचना जाननी । ५१२, ४८०, ४४८, ४१६, ३८४, ३५२, ३२०, २८८ । बहुरि जैसे ही द्वितीय गुणहानि का द्रव्य सोलह सै, ताको गुणहानि आयामरूप गच्छ का भाग दीए, मध्यधन दोय सै होइ; याकों एक घाटि गुणहानि आयाम का आधा प्रमाण करि हीन निषेकहार साढा बारह, ताका भाग दीएं, द्वितीय गुणहानि विष चय का प्रमाण सोलह होइ । बहुरि याकों दो गुणहानि सोलह करि गुणे, द्वितीय गुणहानि का प्रथम निषेक दोय सै छप्पन प्रमाण हो है। ऊपरि-उपरि द्वितीयादि निषेक, अपना एक-एक चय करि घटता जानना । तहा एक घाटि गच्छ प्रमाण चय घटै, एक अधिक गुणहानि आयाम करि गुणित, अपना चय प्रमाण अत का निषेक एक सौ चवालीस प्रमाण हो है। बहुरि तृतीय गुणहानि विष द्रव्य पाठ सै को गुणहानि का भाग दीए, मध्यमधन सौ (१००), याको एक घाटि गुणहानि का आधा करि हीन दोगुणहानि का भाग दीएं, चय का प्रमाण आठ, याको दोगुग्ण हानि करि गुणि प्रथम निषेक एक सौ अट्ठाईस, याते ऊपरि अपना एक-एक चय घटता होइ, एक घाटि गच्छ प्रमाण चय घटै, एक अधिक गुणहानि पायाम करि, गुणित स्वकीय चयमात्र अंतनिषेक बहत्तरि हो है । ___ही इस क्रम करि चतुर्थ आदि गुणहानि विष प्राप्त होड, अंत गुण हानि विष द्रव्य सौ (१००), ताको पूर्वोक्त प्रकार गुणहानि का भाग दीए मध्यधन साढा बारह, याको एक घाटि गुणहानि का आधा प्रमाण करि हीन दोगुण हानि का भाग
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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