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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
। २६३ के अर्धच्छेद मिलाए भी सूच्यगुल के अर्धच्छेदनि ते दूणे प्रतरांगुल के अर्धच्छेद हो है। बहुरि 'वसना रूवहिया' इस सूत्र करि वर्गशलाका ऊपरला स्थान विषै एक अधिक होइ, तातै इहा सूच्यगुल के अनतर प्रतरागुल का वर्गस्थान है, तात सूच्यगुल की वर्गशलाका तै एक अधिक प्रतरागुल की वर्गशलाका है । बहुरि घनांगुल है, सो द्विरूप घनधारा विर्षे प्राप्त है, सो यह अन्य धारा विर्षे उत्पन्न है, सो 'तिगुणा तिगुणा परट्ठाणे' इस सूत्र करि अन्य धारा का ऊपरला स्थान विष तिगुणा-तिगुणा अर्धच्छेद होहि, तातै सूच्यगुल के अर्धच्छेदनि ते तिगुणे घनांगुल के अर्धच्छेद है । अथवा तीन जायगा सूच्यगुल माडि परस्पर गुणे, धनागुल हो है । तातै गुण्य-गुणकार रूप तीन सूच्यंगुल, तिनका अर्धच्छेद जोडे भी घनागुल के अर्धच्छेद तितने ही हो है । बहुरि 'परसम्' इस सूत्र करि अन्य धारा विष वर्गशलाका समान हो है । सो इहा द्विरूप वर्गधारा विर्ष जेथवा स्थान विषै सूच्यगुल है, तेथवां ही स्थान विर्ष द्विरूप घनवारा विर्षे घनागुल है। तातै जेती सूच्यंगुल की वर्गशलाका, तितनी ही घनागुल की वर्गशलाका जानना । बहुरि जगत्श्रेणी है, सो द्विरूप घनधारा विष प्राप्त है; सो याके अर्धच्छेद वर्गशलाका अन्य धारा विष उपजै है। तहां 'विरलज्जमारणरासि दिग्णस्सद्धछिदोहि संगुरिगदे लद्धछेदा होंति' इस सूत्र करि विरलनरूप राशि को देय राशि का अर्धच्छेदनि करि गुण लब्ध राशि के अर्धच्छेद होहि । तातै इहा विरलन राशि पल्य का अर्धच्छेदनि का असख्यातवा भाग, ताको देय राशि घनागुल, ताके अर्धच्छेदनि करि गुण जो प्रमारण होइ, तितने जगत् श्रेणी के अर्धच्छेद है । बहुरि दूणा जघन्य परीतासंख्यात का भाग श्रद्धा पल्य की वर्गशलाका को दीए जो प्रमाण होइ, तितना विरलन राशि का अर्धच्छेद है । ताकी देय राशि घनागुल की वर्गशलाका विपै जोडे जो प्रमाण होइ, तितनी जगत्धेगी की वर्गशलाका है। अथवा जगत्श्रेणी विष देय राशि घनागल, तीहिरूप द्विरूप घनधारा का स्थान तै ऊपरि विरलन राशि पल्य का अर्धच्छेदनि का असंख्यातवां भाग, ताके जेते अर्धच्छेद होइ, तितने वर्गस्थान जाइ जगत्त्रेणीरूप स्थान उपजै है । तातै भी जगत्श्रेणी की वर्गशलाका पूर्वोक्त प्रमाण जाननी ।
सो जगत्श्रेणी विषै विरलन राशि का प्रमाण कितना है ?
सो कहिए है, अद्धा पल्य का जो अर्धच्छेद राशि ताका प्रथम वर्गमूल, द्वितीय वर्गमूल इत्यादि क्रम ते दूणा जघन्य परीतासख्यात के जेते अर्धच्छेद होहि, तितने