________________
सम्यग्नानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[ २२३ गुण वृद्धि का अंत जानना । जातें उत्कृष्ट संख्यात पांच, ताकरि आदि स्थान कौं गुरणे इतना प्रमाण हो है । बहुरि जे स्थान बारह हजार एक ते लगाई चौदह हजार तीन सौ निन्याणवै पर्यत प्रमाणरूप हैं, तहां अवक्तव्य गुण वृद्धि संभव है। जातें उत्कृष्ट संख्यात गुण वृद्धि वा जघन्य असंख्यात गुण वृद्धिरूप प्रमाण तै भी इनिका प्रमाण अधिक हीन है । बहुरि वृद्धिरूप होई जो स्थान चौदह च्यारि सै प्रमाणरूप भया, तहा असंख्यात भागवृद्धि' का आदि संभव है। जाते जघन्य असंख्यात छह, ताकरि आदि स्थान कौं गुण, इतना प्रमाण हो है । बहुरि जैसे ही जिस-जिस स्थान का प्रमाण सभवते असंख्यात के भेद करि आदि स्थान को गुण आवै, तहां-तहा असख्यात गुरण वृद्धि २ संभव है। तहां जो स्थान छत्तीस हजार प्रमाणरूप भया, तहां असख्यात गुण वृद्धि ३ का अंत जानना । जातै उत्कृष्ट असंख्यात पंद्रह, ताकरि आदि स्थान को गुणै इतना प्रमाण हो है। बहुरि जे स्थान छत्तीस हजार एक आदि अडतीस हजार तीन सै निन्यारणवै पर्यत प्रमाणरूप है, तहां अवक्तव्य गुण वृद्धि संभव है । जातै उत्कृष्ट असंख्यात गुण वृद्धि वा जघन्य अनंत गुण वृद्धिरूप प्रमाण ते भी इनिका प्रमाण अधिक हीन है। बहुरि वृद्धिरूप होइ जो स्थान अड़तीस हजार च्यारि सै प्रमाणरूप भया, तहां अनंत गुणवृद्धि का आदि संभव है, जाते जघन्य अनत सोलह, ताकरि आदि स्थान की गुणे इतना प्रमाण हो है ।।
बहुरि जैसे ही जिस-जिस स्थान का प्रमाण सम्भव ते अनन्त का भेद करि आदि स्थान को गुणें आवै, तहां अनन्त गुण वृद्धि सम्भव है । तहां जो स्थान दोय लाख चालीस हजार प्रमाण रूप भया, तहा अनन्त गुण वृद्धि का अंत जानना । जातै यद्यपि अनन्त का प्रमाण बहुत है, तथापि इहां जिस अनन्त के भेद करि गुरिणत अंतस्थान होइ, सोई अनन्त का भेद इहा अंत विषै ग्रहण करना । सो अंकसंदृष्टि विषै एक सौ प्रमाण अनन्त के भेद का अंत विष ग्रहण कीया । तीहिकरि आदि स्थान को गुण दोय लाख चालीस हजार होइ, सोई विवक्षित के अतस्थान का प्रमाण जानना । जैसे इहां षट्स्थान पतित वृद्धि का विधान दिखाया ।।
अब पट्स्थान पतित हानि का विधान दिखाइए है । इहा विवक्षित का आदि स्थान दोय लाख चालीस हजार प्रमाणरूप स्थापन कीया । यातै घटि करि दूसरा स्थान जो दोय लाख गुणतालीस हजार नौ सै निन्यारणवै प्रमाणरूप भया, सो
१. ख प्रति मे गुणवृद्धि है । २ व प्रति मे यहा भागवृद्धि है । ३ ब प्रति मे यहा भागवृद्धि है ।