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(२)
सामायिक पारने की विधि
नमस्कारसूत्र = तीन बार, सम्यक्त्वसूत्र - तीन बार,
गुरु-गुण स्मरण-सूत्र = एक बार, गुरु-वन्दन - सूत्र - तीन वार,
[वन्दना करके आलोचना की आज्ञा लेना, और जिन-मुद्रा से आगे के पाठ पढना ]
श्रालोचना -सूत्र = ईरियावहिय, एक बार, कायोत्सर्ग-सूत्र = तस्स उत्तरी,
एकबार,
आगार-सूत्र = अन्नत्थ, एक बार,
[ पद्मासन आदि से बैठकर, या जिन-मुद्रा से खड़े होकर कायोत्सर्ग - ध्यान करना ]
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कायोत्सर्ग — ध्यान मे लोगस्स 'चन्देसु निम्मलयरा' तक, 'नमो अरिहतारण' पढकर ध्यान खोलना,
प्रकट रूप मे लोगस्स सम्पूर्ण एक बार,
[ दाहिना घुटना टेक कर, बायाँ खडा कर, उस पर जलबद्ध दोनो हाथ रखकर ]
प्रणिपात - सूत्र - नमोत्थुरण दो बार,
सामायिक - समाप्ति-सूत्र = एयस्स नवमस्स आदि, एक बार
नमस्कार-सूत्र == नवकार तीन बार
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