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सामायिक प्रवचन
शरीर से बाहर किसी भी चीज को तोडिए, कोई दुख नही होगा। शरीर से बाहर आत्मा हो, तभी तो दुख होगा न ? अत सिद्ध है कि आत्मा सर्वव्यापी न होकर शरीर-प्रमाण ही है।
___ आत्मा के स्वरूप के सम्बन्ध मे सक्षिप्त पद्धति अपनाते हुए भी काफी विस्तार के साथ लिखा गया है। इतना लिखना आवश्यक भी था। यदि आत्मा का उचित अस्तित्व ही निश्चित न हो, तो फिर आप जानते है, धर्म, अधर्म की चर्चा का मूल्य ही क्या रह जाता है ? धर्म का विशाल महल आत्मा की बुनियाद पर ही खडा है। * * *