SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिज्ञा-सूत्र २३५ है । सभ्यता के आदिकाल से जैन-धर्म की महत्ता दया के कारण ही ससार मे प्रख्यात रही है। रागभाव कहाँ और क्या है ? अव रहा राग-भाव का प्रश्न । इस सम्बन्ध मे कहा है कि राग, मोह के कारण होता है । जहाँ ससार का अपना स्वार्थ है, कषायभाव है, वहाँ मोह है। जब हम सामायिक मे किसी भी प्राणी की, वह भी विना किसी स्वार्थ के, केवल हृदय की स्वभावत उद्बुद्ध हुई अनुकम्पा के कारण रक्षा करते है, तो मोह किधर से होता है ? रागभाव को कहाँ स्थान मिलता है ? जीव-रक्षा मे राग-भाव की कल्पना करना, प्राध्यात्मिकता का उपहास है। हमारे कुछ मुनि जीव-रक्षा आदि सत्प्रवृत्ति मे भी राग-भाव के होने का शोर मचाते है। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि आप साधुनो की सामायिक बडी है, या गृहस्थ फी ? आप मानते है कि साधुनो की सामायिक बडी है, क्योकि वह नव कोटि की है और यावज्जीवन की है। इस पर कहना है कि आप अपनी नव कोटि की सर्वोच्च सामायिक मे भूख लगने पर आहार के लिए प्रयत्न करते है, भोजन लाते है और खाते है, तब राग-भाव नहीं होता ? रोग होने पर आप शरीर की सार-सभाल करते है, औषधि खाते है, तब राग-भाव नही होता ? शीतकाल मे सर्दी लगने पर कबल अोढते है, सर्दी से बचने का प्रयत्न करते हैं, तब राग-भाव नही होता ? रात होने पर आराम करते है, कई घटे सोये रहते है, तब राग-भाव नही होता ? राग भाव होता है, विना किसी स्वार्थ और मोह के किसी जीब को बचाने मे ? यह कहाँ का दर्शन-शास्त्र है ? आप कहेगे कि साधु महाराज की सब प्रवृत्तियाँ निष्काम-भाव से होती हैं, अत उनमे राग-भाव नहीं होता। मैं कहूँगा कि सामायिक आदि धर्म-क्रिया करते समय अथवा किसी भी अन्य समय, किसी जीव की रक्षा कर देना भी निष्काम प्रवृत्ति है, अत वह कर्म-निर्जरा का कारण है, पाप का कारण नही । किसी भी अनासक्त पबित्र प्रवृत्ति मे राग-भाव की कल्पना करना, शास्त्र के प्रति अन्याय है। यदि इसी प्रकार राग-भाव माना जाए, तब तो पाप से कही भी छुटकारा नही होगा, हम कही भी पाप से नही
SR No.010073
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1969
Total Pages343
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy