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प्रतिज्ञा-सत्र
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करेमि भते ! सामाइय सावज्ज जोग पच्चक्खामि । जावनियम पज्जुवासामि । दुविह तिविहेण । मणेरण, वायाए, काएग। न करेमि, न कारवेमि । तस्स भते ! पडिक्कमामि, निदामि, गरिहामि, अप्पारण वोसिरामि !
शब्दार्थ भते हे भगवन् । (आपकी पच्चक्खामि त्यागता हूँ साक्षी से मैं)
[कब तक के लिए ?] सामाइय=सामायिक
जाव-जब तक करेमि==करता हू
नियम-नियम की [कैसी सामायिक ?] पज्जुवासामि= उपासना करूं सावज्ज=सावद्य,
[किस रूप मे सावध का त्याग?] स+अवद्य=पाप-सहित दुविह=दो करण से जोग-व्यापारो को
तिविहेण तीन योग से