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आगार-सूत्र
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प्रथम एक वचनान्त आगार-सम्पदा है, इसमे एक वचन के द्वारा आगार वताए हैं।
दूसरी वहुवचनान्त ग्रागार सम्पदा है, इसमे बहुवचन के द्वारा आगार वताए हैं।
तीसरी आगन्तुक-आगार-सम्पदा है, इसमे आकस्मिक अग्निउपद्रव आदि की सूचना है।
चतुर्थ कायोत्सर्ग विधि-सम्पदा है, इसमे कायोत्सर्ग के काल की मर्यादा का सकेत है।
पाँचवी स्वरूप-सम्पदा है, इसमे कायोत्सर्ग के स्वरूप का वर्णन है।
यह सम्पदा का कथन मूल-सूत्र पाठ के अन्तरग मर्म को समझने के लिए अतीव उपयोगी है।