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सामायिक प्रवचन
इस प्रक्रिया का मुख्य प्रयोजन यही है कि मन बार-बार इन्ही केन्द्रो पर श्रावर्तन प्रत्यावर्तन करता रहे। इसका यह परिणाम होता है कि अन्य विषयो से प्रवृत्तियो की पकड़ ढीली हो जाती है और मन स्वय-चालित चक्र की भाँति केवल इन्ही केन्द्रो पर चलता रहता है ।
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पदस्थ ध्यान मे अक्षर ध्यान की प्रक्रिया भी काफी प्रचलित है । वैसे तो अक्षर का अर्थ है- अविनाशी तत्त्व | परमात्मा, सिद्ध, भगवान् | किन्तु यहाँ अक्षर से अभिप्राय वर्णमाला के अक्षरो से है | इसमें शरीर के तीन केन्द्रो पर - अर्थात् नाभिकमल, हृदयकमल एव आज्ञाचक्र पर क्रमश सोलह पखुडीवाले, चौवीसपखुडी तथा प्राठ पखुडी वाले कमल की कल्पना की जाती हैं और उन पर वर्णमाला के अक्षरो की सरचना करके प्रत्येक अक्षर पर स्वतंत्र चितन किया
अकाल
अ-अ
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गधार
अक्षर ध्यान