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________________ स्वयंभू स्तोत्र टीका सर्वथा नियमत्यागी यथादृष्टमपेक्षकः । स्याच्छब्दस्तावके न्याये नान्येषामात्मविद्विषाम् ||१०२ || [तावके न्याये [ आपके अनेकांत मत में [ स्यात् शब्दः ] स्यात् शब्द जो कथंचित् अर्थ में है अर्थात् जो किसी अपेक्षा से कहने वाला है वह [सर्वथा नियमत्यागी ] वस्तु सर्व प्रकार से सत् रूप ही है या असत् रूप ही है इत्यादि नियम को हटाने वाला है [ यथा दृष्टम पेक्षकः ] जिस तरह प्रमाणज्ञान से जाना गया है इस तरह अपेक्षा को या दृष्टिबिंदु को या नय को दिखाने वाला है [ अन्येषां ] अन्य जो एकान्तमती [ श्रात्मविद्विषां ] अपना ही अपघात या बुरा करने वाले हैं उनके मत में [न] यह स्याद शब्द प्रयोग में नहीं लाया जाता है । १७६ 1 भावार्थ- हे अरनाथ ! आपके प्रनेकांत मत में स्यात् शब्द का प्रयोग बहुत ही उचित है । यह शब्द बताता है कि वस्तु किसी अपेक्षा से ऐसी हैं सर्वथा ऐसी नहीं है। वस्तु सर्वथा सत् है या असत् है, नित्य है या अनित्य है इत्यादि मिथ्या कथन को यह स्यात् शब्द हटाने वाला है । तथा वस्तु किसी अपेक्षा से सत् है या सत् है, वित्य है वा नित्य है इस बात को वैसा ही झलकाने वाला है जैसा प्रमाण ज्ञान श्रुतज्ञान में दिया गया है । स्यात् शब्द वस्तु के यथार्थ स्वरूप को झलकाने वाला है । यह महात्म्य आपके ही अनेकांत मत में है । जो मत एकान्तवादी हैं व जो अपना अत्यन्त बुरा करने वाले हैं उनके यहां स्यात् शव्द का प्रयोग नहीं है, इसी से वस्तु का यथार्थ स्वरूप वे सिद्ध नहीं कर सकते हैं । पद्धरी छन्द सर्वथा नियमका त्यागकार, जिस नय श्रुत देखा पुष्टकार । है स्यात् शब्द तुम मत मंकार, निज घाती प्रन्य न लखें सार ॥ ०२ ॥ जीवादि उत्थानिका - शङ्काकार कहता है कि श्री जिनेन्द्र के मत में जिस तरह वस्तु नित्य प्रादि स्वभाव को धारण करने वाली मानी गई है वह किसी अपेक्षा से मानी गई है कि सर्वथा मानी गई है । यदि सर्वथा मानी गई है तो एकांतवाद का प्रसंग प्रांता है, यदि किसी अपेक्षा से मानी गई है तो अनवस्था दोष श्राता है, इस शंका का समाधान श्राचार्य करते हैं-
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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