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________________ ६१२ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी आप १९५२ में अ० भा० छात्र परिषद की स्थानीय शाखा के प्रधान तथा एस० आर० के० कालेज के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं । १९५५ में श्री महावीर जयन्ती सभा के अध्यक्ष बनें । गत दस वर्षों से कालेज पत्रिका का सम्पादन करते हुए आरहे हैं । अ० भा० जैन परिषद परीक्षा बोर्ड द्वारा प्रकाश्य जैन शिक्षा संस्थाओं की डायरेक्टरी का सम्पादन भी आप द्वारा ही सम्पूर्ण हुआ है । स्थानीय श्री पद्मावती पुरवाल जैन पंचायत के मन्त्री पद पर रहते हुए समाज सेवा का पुन्यार्जन करते आ रहे है। आप द्वारा की गई समाज-सेवा सदैव स्मरणीय बनी रहेगी । स्व० श्री श्यामस्वरूपजी जैन, इन्दौर आप श्री बाबूराम जी जैन के सुपुत्र थे । आपके सुपरिवार द्वारा समाज की महती सेवाये हुई है। श्री शोभाचन्द जी जैन श्री श्रीचन्द जी जैन, श्री चम्पाराम जी जैन आदि प्रसिद्ध विभूतियाँ इसी वंश में उत्पन्न हुई थीं। आपकी जन्म भूमि एटा नगर है। अपका लालन-पालन बड़े ही रईसाना ढंग से हुआ था। आपकी शिक्षा इण्टरमिडिएट तक थी । आप केवल किताबी शिक्षा के ही विद्यार्थी नहीं थे, अपितु व्यावहारिक ज्ञान के भी पण्डित थे । आपका मधुर स्वभाव एवं दयाभाव सभी को अपनी ओर आकर्षित करनेवाला गुण था । आप स्वधर्म के प्रति पूर्ण आस्थावान तथा उसके कट्टर अनुयायियों में से थे। अनेकों आध्यात्मिक पद आपको कण्ठस्थ थे । अपने धर्म की सभी मर्यादाओं का नियमबद्ध पालन करना आपका पवित्र संकल्प था । समाज-सेवा के प्रति आप सदैव जागरूक रहते थे। श्री दि० जैन पद्मावती पुरवाल संघ इंदौर के सभापति पद से आप द्वारा स्वजाति की अनुपम सेवायें हो चुकी हैं। आप कई संस्थाओं के पदाधिकारी तथा सदस्य थे । आपके सहयोग से अनेकों संस्थाओं ने आशातीत उन्नति की है। सामाजिक कार्यों में आपका उत्साह सदैव नवीन रहता था। आप अपनी पुस्तकों की दुकान से समय निकाल कर समाज सेवा में भाग लेते रहते थे । आपका स्व० सन् १९६० में हो गया । आपकी श्रीमती प्रकाशवती जैन भी आपके अनुरूप ही उदार स्वभाव को महिला है । आप अतिथि सत्कार अपना परमधर्म मानती रही है। आपके सुपुत्र श्री रमेशकान्त जैन बी० ए०, श्री महेशकान्त जैन एवं सुशीला एम० ए०, बेबी, मुन्नी आदि सभी शिक्षाप्रिय एवं शुद्ध सात्विक जीवन के परिजन है। सभी आपकी भाँति सन्तोषी, सेवाभावी मिलनसार तथा परिश्रमी हैं।
SR No.010071
Book TitlePadmavati Purval Jain Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugmandirdas Jain
PublisherAshokkumar Jain
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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