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श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी वितरण करना तथा विधवाओं को आर्थिक सहायता देना आपके पवित्र दैनिक कार्यों का अंग है । आप अखिल भारतीय दि० जैन पद्मावती पुरवाल महासभा व अखिल भारतीय दिगम्बर जैन पद्मावती पुरवाल पंचायत के यशस्वी सभापति भी रहे है।
आपके दो विवाह हुए । प्रथम श्रीमती राजकुमारी देवी सुपुत्री श्री बाबूलाल जी जैन रईस वीरपुर से और द्वितीय श्रीमती सुशीला देवी जैन सुपुत्री श्री बनारसीदास जी जैन देहली से। यह दोनों ही महिलाएं धार्मिक प्रकृति-पूर्ण और मधुर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध रहीं। आपकी विशाल हृदयता “वसुधैव कुटुम्बकम्" भावपूर्ण रही है।
राय साहेब समाज के कीर्तिपुञ्ज तथा प्रकाशमान रत्न और सुयोग्य नेता है। आप समाज की गौरवशाली विभूति है। समाज को आपसे भारी आशाएँ बनी हुई हैं। समाज का प्रत्येक बालक आपकी चिरायु की कामना करता है।
श्री रामस्वरूप जी जैन 'भारतीय' जारकी श्री भारतीयजी का जीवन बाल्यकाल से ही प्रतिभाशाली एवं समाज-सेवी रहा है। वैसे आपके सामाजिक जीवन का प्रारम्भ जैन-महासभा के लखनऊ अधिवेशन से माना जाता है। इस ऐतिहासिक अधिवेशन के सभापति थे माननीय सेठ चम्पतराय जी जैन । देहली पंच कल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर महासभा का एक बृहद् सम्मेलन हुआ, किन्तु कुछ मतभेदों के कारण वैरिस्टर साहेब श्री चम्पतरायजी के साथ कुछ लोग महासभा के कार्यक्रम से अलग हो गये और उन्होने झालरापाटन के रायसाहेब श्री ला० लालचन्दजी सेठी के कैम्प में दि० जैन परिषद की स्थापना की । इस कार्य में श्री भारतीयजी का प्रमुख हाथ था। इसी समारोह में “पद्मावती परिषद् का जलसा ला. वासुदेवप्रसादजी जैन की अध्यक्षता
मे हुआ। इस परिषद् के मन्त्री पद पर श्री भारतीयजी को निर्विरोध चुना गया। तत्। पश्चात् इस परिषद् का एक बृहद् अधिवेशन जारकी में हुआ था। इस अधिवेशन में लगभग
८४ गॉवों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य जातीय संगठन करना था। इस दिशा में आशातीत सफलता भी प्राप्त हुई। जारकी के सुप्रसिद्ध जागीरदार ठा० भगवानसिंहजी ने भी इस अधिवेशन में विशेष रूप से भाग लिया था।
तत्कालीन जीवदया प्रचारिणी सभा के मन्त्री ने अन्तर्जातीय विवाह कर लिया था। अतः इसी प्रश्न को लेकर समाज में एक आन्दोलन चल पड़ा। समाज का एक बड़ा वर्ग