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________________ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी श्री पाण्डेय कंचनलालजी जैन, टूण्डला ५६१ पद्मावती पुरवाल समाज मे पाण्डेय वर्ग का स्थान अत्यन्त सम्माननीय एवं श्रद्धापूर्ण रहा है । पाण्डेय वर्ग हमारी जातीय मर्यादाओ का संरक्षक एवं निर्देशक है। अतः प्रत्येक पाण्डेय पुत्र समाज का श्रद्धास्पद और पूज्य है । श्री पाण्डेय कंचनलालजी से समाज का प्रत्येक सदस्य भलीभांति परिचित है । पाण्डेय जी का सारा ही जीवन समाज की सेवा एवं निर्माण में लगा है। आपके पूर्वज श्रद्धेय श्री हीरालालजी जैन पाण्डेय अपने मूल निवास स्थान फिरोजाबाद में विराजते थे । नगलास्वरूप ग्राम का श्रद्धालु समाज उन्हे अपने यहाँ ले आया। तब से यह वंश यहीं निवास करता है। इसी वंश के स्वर्गीय श्री विहारीलालजी जैन पाण्डेय को श्री कंचनलालजी के पिता श्री घनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । प्रतिभाशाली वालक "कंचन" की शिक्षा का समुचित प्रबन्ध किया गया । किन्तु, विधि का विधान कुछ ओर ही था। अभी वालक "कंचन" ने किशोरावस्था में प्रवेश पाया ही था कि इन पर से पिता का स्नेह भरा हाथ सदैव के लिए उठ गया। बालक ने साहस और धैर्य से काम लिया, किन्तु शिक्षा क्रम संस्कृत की प्रथमा के पश्चात् रुक गया। तभी से आप समाज सेवा के पुनीत संकल्प को वडी दृढ़ता के साथ निभाते आ रहे है। I आपने अपने कुल परम्परागत कार्य को बड़ी निपुणता से पुगाया है । स्वधर्म के उत्तमोत्तम ग्रन्थों को आपने पढा एवं मनन किया है। आपकी विवाह-पठन पद्धति तो अपनी निराली ही विशेषता रखती है। आपके आचार्यत्व मे सम्पन्न होनेवाला विवाह-संस्कार केवल एक संस्कार समारोह ही नहीं होता है, अपितु स्वजातीय नियम एवं शास्त्रों के गूढज्ञान को समझने का बहुमूल्य अवसर भी होता है। आपका अपने शास्त्रों के प्रति दृढ निश्चय एवं अटूट विश्वास है । सामाजिक नियम और मर्यादाओं में आप कभी उपेक्षा नही बरतते । विवाह आदि संस्कारों को प्राचीन-विशुद्ध प्रणाली ही आपको प्रिय है तथा समाज को उसी पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं। आपके द्वारा समाज सेवा भी पर्याप्त मात्रा में हुई है । " पाण्डेय संगठन कमेटी" का गठन आपकी दूरदर्शिता एवं सुव्यवस्था का ज्वलित प्रमाण है । अ० भा० जीवदया प्रचारिणी सभा में भी वर्षों सेवा कार्य किया है। समाज के अनाथ वालक एवं निराश्रित विधवा और असमर्थ वृद्धों की जानकारी रखना तथा समाज के समर्थ और सम्पन्न महानुभावों को उनको सहायता के लिए प्रेरित करते रहना- आपकी मौन सेवाओं मे से एक है। आपने अनेकों terranea विद्यार्थियों को शिक्षित बनाने मे अपना सराहनीय योग दिया है। राजनीति के क्षेत्र में भी आपका अपना स्थान है। ग्राम पंचायत के प्रधान पद को आप १२ वर्ष तक सुशोभित कर चुके हैं । आपने अपने प्रधानत्व में प्राइमरी पाठशाला, धर्मशाला तथा कुंआ आदि का निर्माण करवा ग्राम की बहुमुखी उन्नति की है। पशुपालन, वृक्षारोपण तथा ग्राम को सीमाओं में शिकार पर प्रतिवन्ध लगाने जैसे महत्व पूर्ण कार्य कर समान में अपना
SR No.010071
Book TitlePadmavati Purval Jain Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugmandirdas Jain
PublisherAshokkumar Jain
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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