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________________ आचार्य कुन्दकुन्द / 71 कारण कहा गया है क्योकि उसमे Atoms (परमाणु) जब परस्पर मे जुड़ते हैं (पूर्वोक्त पूरण-क्रिया), तव उसमे शक्ति उत्पन्न होती है ।। आज के विशिष्ट पदार्थों मे Uranum and Redium का महत्त्वपूर्ण स्थान है । वैज्ञानिक परीक्षणो से यह सिद्ध हो चुका है कि पूर्वोक्त गलनक्रिया इन दोनो पदार्थों मे स्वाभाविक रूप से स्वत ही होती रहती है और उससे नवीन पदार्थों का जन्म होता रहता है । वैज्ञानिको ने बतलाया है कि Uranium के एक कण मे Alpha, Beta and Gamma किरणे अप्रतिहत गति से निरन्तर निकलती रहती हैं और लगभग दो अरब वर्षों मे उमका अर्धांश Redium मे बदल जाता है। ___गलन की प्रतिक्रिया Redium मे भी स्वाभाविक रूप से दिन-रात होती रहती है और उसके एक कण का अर्धांश लगभग छह हजार वर्षों मे सीसे (Lead) मे वदल जाता है। स्निग्ध (Positive) और रूक्ष (Negative) का बन्ध आचार्य कुन्दकुन्द ने पुद्गल की परिभाषा मे बताया है कि स्निग्ध एव रूक्ष गुणो के कारण परमाणु एक साथ बंधा रहता है। इसका समर्थन आचार्य उमास्वाति ने भी 'स्निग्धरूक्षत्वाद्-बन्ध' नामक सूत्र के माध्यम से किया है। जैनाचार्यों का यह वैज्ञानिक सिद्धान्त भी आश्चर्यजनक है और आधुनिक वैज्ञानिक खोजो के समकक्ष है। पूज्यपाद स्वामी (5वी सदी ई०) ने लिखा है कि स्निग्ध एव रुक्ष गुण के निमित्त से विद्युत् की उत्पत्ति होती आधुनिक विज्ञान की दृष्टि मे उक्त स्निग्ध 'Positive' के अर्थ मे तथा रूक्ष 'Negative' के अर्थ मे लिया गया है। सामान्य भाषा मे इसे 1 तीर्थंकर महावीर स्मृतिग्रन्य, पृ०-275 2-3 वही, पृ० 276 4 पचास्तिकाय, गाथा-81 (संस्कृत टीका) 5. तत्त्वार्थराजवात्तिक 5/33 6 सर्वार्थसिद्धि 5/33
SR No.010070
Book TitleKundakundadeva Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Vidyavati Jain
PublisherPrachya Bharti Prakashan
Publication Year1989
Total Pages73
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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