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________________ आचार्य कुन्दकुन्द / 11 कुन्दकुन्द - साहित्य मे अध्यात्म एव काव्य का सौष्ठव देखकर बम्बई के प्रवासी (देवरी सागर निवासी) श्री प० नाथूराम प्रेमी ने उनके साहित्य के प्रकाशन की सर्वप्रथम योजना बनाई तथा विविध स्रोनो से उनके जीवन- वृत्त को तैयार किया । - कुन्दकुन्द के काल की अविश्रान्त खोज तत्पश्चात् प० जुगल किशोर मुख्तार, डॉ० के० वी० पाठक, योरोपीय विद्वान् डॉ० हार्नले, प्रो० ए० चक्रवर्ती, प्रो० ए० एन० उपाध्ये, एव डॉ० - हीरालाल जैन ने कुन्दकुन्द के समय पर गम्भीर खोजें की। इन विद्वानो ने कुन्दकुन्द के साहित्य के साथ-साथ गुणधराचार्य के गाथा-सूत्रो, यतिवृषभ के चूर्णि सूत्रो एव उच्चारणाचार्य के उच्चारण- सूत्रो तथा आचार्य धरमेन की परम्परा मे हुए आचार्य पुष्पदन्त भूतवलि के षट्खण्डागम का पारदर्शी अध्ययन तो किया ही, अन्य ऐतिहासिक साहित्य, जिसमे इन्द्रनन्दि तथा विबुध श्रीधर के श्रुतावतार, पल्लव, गग एव राष्ट्रकूट नरेशो के विविध शिलालेखो, ताम्रपत्रो, गुर्वावलियो, पट्टावलियो तथा परवर्ती आचार्यों और टीकाकारो द्वारा उल्लिखित सन्दर्भों एव पुष्पिकाओं आदि का तुलनात्मक गहन अध्ययन एव विश्लेषण भी किया और विविध ऊहापोहो -के वाद उनका काल ईसा पूर्व प्रथम सदी से ईसा की तीसरी सदी के मध्य निर्धारित किया । किन्तु काल-निर्णय की यह स्थिति सन्तोषजनक सिद्ध नही हुई। क्योकि कुन्दकुन्द जैसे महापुरुषो की कालावधि निश्चित न हो, अथवा उनकी कालावधि को तीन सौ चार सौ वर्षो के मध्य वताया जाए, यह स्थिति हास्यास्पद एव दयनीय जैसी ही थी । इसका मुख्य कारण धा, परस्पर में विरोधी - साक्ष्यो की प्राप्ति । जैसे--- 1 आचार्य कुन्दकुन्द के उल्लेखानुसार वे श्रुतकेवली भद्रवाहु के शिप्य थे । (भद्रबाहु का समय ई० पू० 390 से ई० पू० 361 के लगभग माना गया है) । 1. सद्दवियारो हुओ भासासुत्तेसु ज जिण कहिय । सो तह कहिय णाय सीसेण य भद्दवाहुस्सा | वोधपाहुड- 61
SR No.010070
Book TitleKundakundadeva Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Vidyavati Jain
PublisherPrachya Bharti Prakashan
Publication Year1989
Total Pages73
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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