SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 577
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनतत्वादर्श मूजब अनुसार रजा गु० छुट्टी रसवती रसोई, भोजन सामग्री राजी प्रसन रीते रिक्त, खाली रुड़हाते हो गिराते हो रैयत प्रमा रौला शोर वाचना पढना वाजबी उचित वाम, वामा बायां वासन वर्तन, पात्र व्यामोह सन्देह विचली पं० बीच को विछड़ के बिछुड कर विरति पा० संयम विसरना भूलना विसवा भाग विशेष विसारना भुलाना बीहि चावल वेला समय लंघा कर बिता कर लांच घूस, रिश्वत लूहे पूछे लेखे हिसाब ले लीजो गु० ले लेना लौल्य लालच संक्रमण हो जाता है भ्रष्ट हो जाता है संभ्रम संयुक्त उत्साह युक्त संसार जलधि संसारसमुद्र सचित्त जीव सहित सबब कारण समराना संवारना, साफ करना वघना वढना वहना बहना, चलना, धारण करना बांकी टेढी
SR No.010065
Book TitleJain Tattvadarsha Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages384
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy