________________ 0 जैनतत्त्वादर्श ख खण्डोभूत टुकडे हुआ 2 / खरविषाण गये के सोग गृद्धि अभिलाषा, आसक्तिगाले पं० गलायें गधे खुरकनी पं० गधों का ग्यारां पं० ग्यारह (11) परस्पर खुजाना, परस्पर की प्रशंसा गिरद पं० चारो तरफ़ गत गढा गिरिशिखर पर्वत की चोटी गलना गु० छानने का कपडा गीतार्थ आगम का जानकार गवाश्वादिवत् गाय, घोड़े आदि | ग्रन्थि गांठ की तरह लेय सूंघने योग्य घन गाढ घणे गु० बहुत चतुष्पद चार पैर वाले चिन्तवना चिन्तन, विचार चर्म उत्कर्तन चमडी उतारना | चिर देर चित्राम चित्र, तस्वीर |चीवर सूत का धागा , छगल वकरा छाग बकरा / छाना गु० छिपा हुआ छमस्थ पाक अल्पज