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________________ भास्कर [भाग ६ जिसका कि फल आगे लिखा जावेगा। इस लग्न के अनुसार प्रतिष्ठा का समय सुबह ४ बज कर ३८ मिनट होना चाहिये। क्योंकि ये लग्न, नवांशादि ठीक ४ बजकर ३८ मिनट पर हा आते हैं। उस समय के ग्रह स्पष्ट इस प्रकार रहे होंगे। नवग्रह-स्पष्ट-चक्र रवि चन्द्र भौम बुध गुरु शुक्र शनि राहु केतु ग्रह कला विकला ५८७८२ ४५ १०८ । गति ११ ११ विगति ४५ ५२ ३७ ५९ ४१ | ५२ / ३१ यहाँ पर 'ग्रह-लाधव' के अनुसार अहर्गण ४७८ है तथा चक्र ४९ है, करणकुतूहलीय अहगण १२३५-९२ मकरन्दीय १६८८३२९ और सूर्यसिद्धान्तीय ७१४४०३९८४९५६ हैं। परन्तु इस लेख में ग्रहलाघव के अहर्गण पर से ही ग्रह बनाये गये हैं और तिथि नक्षत्रादिक के , घश्यादि भी इसी के अनुसार हैं। उस समय की लग्न-कुण्डली
SR No.010062
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain, Others
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1940
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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