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(४९) सकता होगा. राज्य के कानूनों से शास्त्रकारके कानून बहुतही सूक्ष्म हैं व उनके पालन करने के लिये उतनी ही ज्यादे सावधानी होनी चाहिये.
उपसंहार-पाठकगण ! धर्म के तत्वों पर ही संसार का सब व्यवहार चलता है. जबतक इस भूमि पर सत्य और शील है तब तक ही ऐसी शांति है जब सत्य
और शील का नाश होआवेगा तब यह पंचम आरा युग] पूर्ण होगा, और छठे युग,की शुरुआत होगी, संवत्सरी पर्व.की रचना सत्य और शील की महिमा के लिये की गई है. पंचम युग २१०००, वर्ष का है उस में से २५०० वर्ष बीत चुके हैं और १८५०० वर्ष के बाद सात २ दिन तक अनि विष आदि की सात वाँ होंगी. प्रति दिन की सात वर्षा के हिसाब से ४९ दिन में ७ वो होंगी. १८५०० वर्ष के बाद इस भूमि पर की संपूर्ण सुंदर वस्तु ओं का सर्वथा नाश होजावेगा उस समय से छठा युग कहलावेगा. उस समय के मनुप्यों की आयुष्य २० वर्ष की उनका शरीर १ हाथ का व ६ वर्ष की लडकी गर्भ धारण करने लगेगी. मनुष्य नदी की मच्छियां खाकर अपना जीवन निर्वाह करेंगे- मरे हुए मां बाप के मस्तिष्क की खोपडीयें ही उनके वर्तन का काम देंगी. उस वक्त के मनुप्य धर्म विहीन पापमय जीवन विताकर नतियच में जाकर उत्पन्न होंगे. आज आप लोगों का अहोभाग्य है कि १८५०० वर्ष पहिले आपने जन्म लिया है जिस