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(४२) पृथ्वी, पानी, अग्नि, हवा और वनस्पति के जीवों की रक्षा करने वाले, कीड़े मकोड़े की भी हिंसा न करने वाले, विलास के लिये शौक के लिये पंचेन्द्रिय जीवों की हिंसा करवावें उससे ज्यादा आश्चर्य और क्या हो सकता है ? शास्त्रकार ने १८ प्रकार के चोर बतलाये हैं जैसे १८ प्रकार के चोर हैं वैसे ही १८ प्रकार के हिंसक, कसाई शिकारी भी समझना चाहिये. रेशम व चरबी के कपड़े बेचने वाले, पहिनने वाले, पहिनाने वाले खरीदने वाले इनकी दलाली करने वाले, सीने वाले, बुनने वाले धोने वाले आदि सब उस पाप के भागीदार हैं।
धर्म व राज्य के कायदे शास्त्रों की सूक्ष्मता बहुत बारीक है तथापि पिनल कोड के कायदे और श्रावक के मुख्य २ व्रत में कहां तक संबंध है यह भी आपको बताना आवश्यक है
हिन्सा जन्य अपराधों की सजाएं,
(१) खून करने वाले को प्राण दण्ड ( फांसी) का. धा. नं. ३०२ । (२) भोजन व अन्य किसी तरह विप देने वाले को प्राण दण्ड. का. पा. नं. ३०२ । (३ ) मकान में आग लगाने वाले को ७ वर्ष की सख्त कैद की सजा का. था. नं. ४३५। (४) आश्रित को भोजन न देकर मृत्यु निपजाने वाले को ग्राण दण्ड की