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________________ ( ३७ ) णीय है किन्तु शास्त्रीय फरमान २१००० वर्ष तक जैनधर्म के टिकने का होने से जैन शाशन का उदय होना चाहिये । दिशा मर्यादा, भोगोपभोग, अनर्थ दंडादि श्रावक के बारह व्रत है. इन सत्र व्रतों का पिनलकोड सरकारी कायदे ने भी आश्रय लिया है । दिशा मर्यादा - एक देश से दूसरे देश मे जाने के लिये पासपोर्ट चाहिये पास पोर्ट के सिवाय कोई भी दूसरे देश में नहीं जा सकता है यह सरकारी कानून है । भोगोपभोग - अफीम, शराब, कोकीन आदि मादक पदार्थ खाने की सरकार की मनाई है । वैसे ही ज्यादे घोड़े की बग्गी में बैठने की, पैर में सोना पहिनने की भी देशी राज्यों में मनाई हैं । ▼ अनर्थ दंड - अश्लील शब्द बोलने की लिखने की च अश्लील साहित्य छपवाकर प्रचार करने की, अश्लील चित्र छपाने की व बनाने की आदि सब प्रकार की मनाई हैं । पाठकगण देखिये ! संसार के सत्र व्यवहार धर्मशाशन के अनुसार चल रहा है. धर्म का अस्तित्व न होतो दुनिया में लूटसोरी व व्यभिचार आदि बढ़ जायें और • में अंधाधी मच जावे राज्य शासन शांति के साथ चलाने के लिये राज्यस्तीओंने धर्म की शरण ली है जिससे ही वर्तमान काल में यह मुव्यवस्था दिखाई देती है ।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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