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जनकी कुछ भी चिंता नहीं करता । यह मेरा स्वार्थीपन दूर हो ।
२-भोजन का कुछ हिस्सा त्यागी मुनि, ब्रह्मचारी, विद्यार्थी व निराधार को देकर जीवन सफल करूँ।
३-भोजन के प्रत्येक कवल में से सात्विक परमाणु खींचकर दिव्य शक्ति प्राप्त करता हूँ और इस शक्ति से जगत में सत्य शील और संयम का प्रचार करूँगा।
प्यारे बालको ! आज के पाठ को पढ़कर आप भूख से कम खाने का निश्चय करें।
पाठ १४-रात्रि भोजन । रात्रि भोजन का निषेध जैन और जैनेतर समी शास्त्रों में युक्ति पूर्वक किया गया है एवं शारीरिक नियम और नीति रीति के देखने से भी यही मालूम होता है कि रात्रि भोजन नहीं करना ही सर्वोत्तम है । तथापि मनुष्य रात्रि भोजन * में जरा भी नहीं हिचकते । देखिये दिन की अपेक्षा '; के समय में जीव अधिक उड़ते हैं और दीपक के
को देख कर के तो और भी अधिक पा जाते हैं।