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जहर का होना सजीव श्रद्धा के उदाहरण हैं । इनसे मनुष्य अक्सर भयभीत रहता है । सौ हाथ के लंबे चौड़े मकान में वीछू के घुस जाने की शंका हो तो उसमें अंधेरे में जाने की हिम्मत नहीं होती है । चार अंगुल की भयंकरता ने सौ हाथ को भयमय, विषमय तथा बीमय बना दिया । वीजू ने केवल चार अंगुल जगह रोक रखी है लेकिन सजीव श्रद्धा वाला उस सारे मकान को बीछू से ठसाठस भरा हुआ मान कर उसका त्याग कर देता है। किसी के मकान में प्लेग के चूहे मरे हों तो सारा गांव अपनी लाखों की संपत्ति और आमदनी छोड़कर जंगल में भाग जाता है और वहां झोपड़ियां बांधकर रहता है। वहां चूहे मरने की शंका होने पर वहां से भी भागता है और अन्यत्र जाकर निवास करता है। इस प्रकार इस अल्प जीवन को सजीव श्रद्धा के कारण मारे २ फिरते हैं लेकिन परलोक, स्वर्ग, नरक, मोक्ष, पुण्य पाप और बंध वगैरा के प्रति निर्जीव श्रद्धा होने से उन पर अंतिम श्वोसोच्छ्वास तक विश्वास नहीं किया जाता है।
इस लेखक ने अपने भक्त एक सुशील लड़के से पूछा "तरा पिता बहुत धर्म ध्यान करता है। उनसे तू आखिरी समय में अगर कहे कि पूज्य पिताजी आप ९५००० रुपये दान में लगा दीजिए, मेरे लिये पांच हजार रुपये ही काफी हैं । तो क्या वे इस बात को मंजूर कर लेंगे ? सुशील लडके ने जवाब दिया कि वे हरगिज