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________________ ( ७ ) यगा दुगुना होजाने पर सालाना मिलनेवाली व्याज रकम भी दस लाख होजायगी । उत्तरोत्तर इनसे पादह वर्षो का ब्याज का हिसाब पाठकों पर ही छोडताहूं ठिक ज्यादहतर व्यापारी वर्ग के होनेसे उनके यहां याज का धंधा भी है और रुपयों से उन्हें मोह भी खूबही अतएव मैं इस प्रकरण को अधूरा ही छोड़ता हूं ।. L जब एक करोड़ रुपये व्याज से रखने पर बारह वर्ष में, याज से बढ़ते २ दो करोड़ होजाते हैं और ब्याज की र्षिक आमदनी दस लाख रुपये तक पहुंच जाती है तो तो मनुष्य धन कमाने में अपनी पांचों इंद्रियां, मन वचन और काया की तमाम शक्ति लगा देता है तथा मृत्यु पर्यंत धनके लिये प्रयत्न करता रहता है उसके पास कितना द्रव्य होना चाहिये ? तथा उसकी दैनिक आमदनी उपरोक्त " ब्याज के हिसाब से कितनी होनी चाहिये ? 12 1 मनुष्य धनार्जन में अपनी जितनी शक्ति खर्च करता है उसके मानसे उसके घर में रात दिन सोनैया की ही नहीं किन्तु रत्नों की वर्षा हो तो भी थोड़ी है । लेकिन इसके विपरीत मनुष्य पेट की चिंता में ही अपना जीवन पूर्ण करता हुआ पाया जाता है । " ↓ "
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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