________________
।
दूसरा भाग
३३
' छ काय (भाग ३) सुमति-ज्ञानी बन्धु । पृथ्वी और अपकाय मे जीव हैं, यह बात आपने ऐसी सरल रीति से समझा दी है कि यह मेरे दिल मे बहुत जल्दी उतर गई, परन्तु भाई । मुझे माफ करना, अग्नि से तो अपन लोग जल मरते हैं ऐसे स्थान में जीव कैसे हो सकते हैं ? अगर ऐसा है तो तेउकाय में जीवों की सिद्धि करके बताने की कृपा करें। ____ जयत-हा भाई । इस में शंका की कोई बात नहीं । अग्नि भी फिर जीवो का पिण्ड है । अग्नि श्वासोश्वास बिना नही जी सकती, उसके कारण सुन
१-जैसे बुखार में गर्म हुए शरीर में जीव रह सकता है वैसे ही गर्म आग में भी जीव रह सकते हैं।
२-जैसे मृत्यु होने पर प्राणो का शरीर ठडा पड़ जाता है वैसे ही अग्नि बुझने से (जीवों के मरने से ) ठंडी पड़ जाती है।
३-जैसे आगिए के शरीर में प्रकाश है वैसे ही अग्नि काय के जीवों में प्रकाश होता है ।
४-जैसे मनुष्य चलता है वैसे अग्नि भी चलती है (आग फैल कर आगे बढ़ती है)।
५--जैसे प्राणी मात्र हवा से जीते हैं वैसे ही अग्नि
धधकते हुए लकडे यदि तुरत ढक दिर जाएँ तो बुझ कर कोयला हो जाते हैं और उघाडे हों और हवा मिलती रहे तो कुछ समय तक जीव जीवित रह सकते हैं, अन्त में अग्नि के जीव भरने पर राख हो जाती है।
1
-
-