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________________ दूसरा भाग १९ २९ -- सैकड़ों गायें पालने में ज्यादा पाप या एक बार बाजारू दही दूध घी खाने मे ? ३० - मा भर मिठाई यतनापूर्वक बनाने में ज्यादा पास या पाव भर मोल लाने में ? ३१ - न्याय उपार्जित लाखो की सम्पत्ति में ज्यादा पाप या अन्याय उपार्जित एक कौडी में ? ३२ -- लाखों नारियल की चूड़िया पहनने वाली को अधिक पाप या एक हाथी दात की चूड़ी पहिनने में ? ३३ -- घर पर रसोई बनाकर जीमने वाला पापी या नुकते में जीमने वाला ? ३४ -- सौ विवाह मे घी जीनने वाला पापो या एक मोकाण मे घी खाने वाला 2 -- ३५ - कसाई को गौ बेचकर रुपये लेने वाला पापी या बेटी को बेचकर रुपये लेने वाला १ ३६ – सौ बेटी को न पढ़ाने वाला मूर्ख वा एक वेटे को ? ३७ - भयकर बीमारी में संतान की रक्षा नहीं करने वाला शत्रु या सन्तान को विद्या नहीं देने वाला ? ३८- बेटी को लाख रुपये की वकशिस देनेवाला उत्तम कि शिक्षा देनेवाला उत्तम ? ३९--अछूत का अन्न खाने वाला अपराधों कि वृद्वलन्न -या कन्याविक्रय लग्न मे जीमने वाला ? ४० - सतान के अगोपांग काटने वाला पापी कि बाललग्न करने वाला ?
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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