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[४५ ] ३०-आदर्श श्रावक-आणंदजी।
आणंदजी नाम के एक बड़े श्रावक होगए हैं। उन्होंने भगवान महावीर का उपदेश सुनकर अपने जीवन को पवित्र बनाया। वे बड़े धनवान सेठ थे। उनके पास बारह करोड़ का धन था। वे चालीस हजार गौओं का प्रतिपालन करते थे। धनी होने पर भी उन्होंने अपना जीवन सादगी से बिताना शुरू किया। उन्होंने बाजारू मिठाई की सौगन्द ली । केवल शुद्ध खादी के सिवाय दूसरे कपड़ों का त्याग किया। वे हर महीने छः उपवास पौषध करते थे। उन्हों ने अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, संतोष आदि बारह व्रत धारण किए। उन्होंने प्रतिज्ञा की, कि मैं अपनी आय में से बहुत थोड़ा खर्च करूँगा । सादगी से जीवन बिताऊँगा। बचत का सब धन सुकृत्य में लगाऊँगा। उनका खूब यश फैला। उन्होंने दान, शील, तप और भाव का पालन किया। इससे वे सुधर्म देव-लोक के महान् प्रभावशाली देव हुए। शिक्षा १-कम खर्च करके सब दान देना चाहिये ।
२-अच्छेनियम लेने से बहुत सुख मिलता है। प्रश्न १-आणंदजी श्रावक ने कैसे नियम लिए?
२-आणंदजी श्रावक ने कौन २ से व्रत लिए?