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कुँवर चॉदकरणजी शारदा अजमेर
वास्तव में आबू स्थित मदिरो पर सिरोही स्टेट ने जो टैक्स लगाया है वह हमारी धार्मिक स्वाधीनता मे कलक रूप है और इसके विरोध मे जितना आदोलन किया जाय थोडा है । इस आदोलन में श्राप कोरे प्रस्तावो से सफलीभूत नही होगे, बल्कि आपको सन्याग्रह की पल्टन तैयार करनी होगी तब कही इन निरकुश राजाधो के होश ठिकाने श्रावेंगे। समस्त हिन्दू जनता आपके साथ इस श्रादोलन मे सहानुभूति प्रगट करेगी ऐसी मुझे पूर्ण आशा है। मैं आपके शुभ प्रयत्न की हृदय से सफलता चाहता हूँ ।
रायबहादुर मेहरचंद जी खन्ना, पेशावर
आपकी कान्फेन्स की पूर्ण सफलता चाहता हूँ ।
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श्री कन्हैयालालजी वैद्य, मत्री मध्यभारत देशी राज्य लोकपरिषद्, वम्बईयह दुख की बात है कि सिरोही राज्य हिन्दू राज्य होते हुए, वहाँ पर हिन्दू धर्म की चौकीदारी का टैक्स वसूल होता है । हमारे ये राजे-महाराजे केवल घन खीचना जानते है, नीति और अनीति की उन्हें चिन्ता नही है सिरोही राज्य की टैक्स लेने की नीति लूट की नीति ही कही जाएगी क्योकि वह इस टैक्स को मदिरो के लिए खर्च न करते हुए अपने स्वच्छद शासन मे खर्च लेता है । ऐसी लूट का जितना भी विरोध किया जाय थोडा है । सिरोही के निरकुश शासन में प्रजा भी दुखी हो रही है। आप क्रियात्मक सत्याग्रह की योजना कीजिये । राजस्थान और अग्रेजी भारत से आपको सहयोग मिलेगा ।
श्री हीरालालजी शास्त्री, जयपुर राज्य प्रजामडल
अगर कोई राज सस्था किन्ही लोगो से कर वसूल करती है तो उसे उस आमदनी को उन लोगो की राय से उन्ही लोगो के हितार्थ खर्च करना चाहिए। चाहे जिस बहाने से कर लगा देना और उसे मनमाने तरीके से खर्च करना अन्याय है जिसका सम्वन्धित जनता को अवश्य विरोध करना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि आप लोग न्याय की दृष्टि से एक मामले को हाथ ले रहे है तो उस पर पूरे श्राग्रह के साथ अडे रहेगे और उसे अपने अनुकूल तय करवाकर छोडेंगे ।
श्री गोकलभाई भट्ट सिरोही राज्य प्रजामंडल
मै मानता हूँ कि आवू मंदिर प्रवेश टैक्स कतई हटना चाहिए ताकि यात्रियो को ईश्वर दर्शन के लिए कोई टिकट न लेना पडे । प्रगतिशील जमाने में यह टैक्स कलक है। आपकी कान्फ्रेन्स के साथ हमारी पूरी हमदर्दी है । कान्फ्रेन्स अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्यावहारिक व असरकारक योजना वनायेगी ऐसी आशा है । कान्फ्रेन्स को ला० तनसुखरायजी का नेतृत्व मिलने से कार्य सुचारु रूप से चलेगा ऐसी प्राशा है ।
श्रीमान् सेठ पद्मपतजी सिंहानिया -
वस्तुत यह बात बडी अधार्मिक है कि भगवान के दर्शन की कोई फीस ली जावे, चाहे वह किसी भी रूप में हो । सिरोही मे तो इस प्रथा का भौर भी उग्र रूप प्रतीत होता है । चोर• 135]