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वीर भूमि पंजाब
सरदार इन्द्रजीतसिंह 'तुलसी'
भारत भूमि वीरगर्भा है । देश की रक्षा के अवसर पर सभी प्रातो के नर-नारी एकदूसरे से भागे बढकर अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए आतुर रहते है । परन्तु भारत की तलवार पजाब मे कुछ अपनी विशेषताएं है । देश का सीमांत प्रदेश होने के कारण यहां के वीरपुरुषो ने समय-समय पर जो अपने जौहर दिखाए वह अन्य प्रातो के लिए ईर्ष्या की वस्तु है ।
पजाब प्रदेश के निवासी वीर, साहसी, पराक्रमी और तेजस्वी हैं। सेना में उनकी ही अधिक संख्या है | पंजाब केसरी लाला लाजपतराय, वीरो के सरदार भगतसिंह आदि नररत्नो को जन्म देने वाली यही वीर भूमि है । यहा की मिट्टी में कुछ ऐसा आकर्षण है कि मनुष्य को कर्तव्यशील और साहसी बना देती है। देश के बंटवारा होने पर पजाव को अपरिमित हानि हुई, परन्तु साहसी पंजाबियो ने उसकी रचमात्र भी परवा न करके नए सिरे से पजाब का निर्माण कर ढाला । स्व० प्रधानमन्त्री प० जवाहरलालजी इस बात के लिए पंजाब की वडी प्रशसा करते थे जो वास्तव मे उचित ही थी। दिल्ली मे कई प्रख्यात जैन परिवार पजाव के हैं जिन्होने अपने उद्यम, साहस और परिश्रम के बल पर धन के अजंन तथा सामाजिक और देशसम्बन्धी सेवा-कार्यों मे अच्छी ख्याति प्राप्त की है। लाला तनसुखराय जी भी पजाव (रोहतक) जिले से आकर दिल्ली में बसे थे। उन्होने अपने कार्यों से देश और समाज को प्रशसनीय सेवा की । वीर भूमि पजाब के सम्बन्ध मे सरदार इन्द्रजीतसिंह तुलसी की एक कविता और एक पत्र प्रस्तुत करते है जो पजावियो के भावो को दर्शाने के लिए अलम है ।
पंजाब
जद जद बुलाया देश ने, पजाव अग्गे आ गया, सब तो जियादा खून ते धन दी आहुती पा गया। दित्ता सुहागन कत हैं, मावा ने दित्ता पुत्त है । हर इक्क हिन्दी वास्ते, आई शहीदी रुत है । इक इक बहादुर फौजदा, इक इक हिमालय वन गया, मरवा होया होशियार सिंह, गौदा है जन गन मन गया । निक्का जया सूवा किसे, मगया सी हिन्दी जबा दे शोर ने, डगिया सी सूबे ते हिन्दी वालेयो, पूरा होया नेफा तो अज लद्दाख तक, पंजाब
मन्नू याद है ।
मैन्नू याद है ।
हुने स्वाद है ।
ही पजाब है ।
एक स्त्री का पति अगले मोर्चा की बर्फानी ऊंचाइयो मे दुश्मन का मुकाबला करते हुए शहीद हो गया । उसको पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार प्रतापसिंह कैरो ने पत्र लिखा --"मेरी लाड़ली, तू तो मेरी अपनी ही बच्ची है। तेरी जो कीमती चीज खो गई है, उनके नुकसान ने मेरी कमर