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महापुरुषों के जीवन का व्यक्ति के चरित्र पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है
___ जीवन को उन्नत बनाने लिए उत्तम शिक्षा की तो आवश्यकता है ही, चरित्रवान् लोकमेवी उदार नर-रलो के सम्पर्क मे रहना भी आवश्यक है। राष्ट्रपिता गावीजी के जीवन पर तीन व्यक्तियो की अनुपम छाप है जो उन्होंने अपने लेखो में स्वीकार की है। श्रीमद् राजचद भाई, मनीपी टालस्टाय और प्रसिद्ध विचारक रस्किन जिनका प्रभाव गाँधी जी के जीवन पर पड़ा। जिसने उन्हे भौतिक ऐश्वर्य के शिखर पर चढने की अपेक्षा लोकसेवी के कण्टकाकीर्ण मार्ग की
ओर प्रेरित किया जिससे हिसा और सत्य का पथ विस्तृत हुमा । और स्वतत्रता सेवी अमृत का प्रादुर्भाव हुआ। इसी प्रकार जननायक लोकप्रिय महान् नेता प. जवाहरलालजी नेहरू के जीवन पर भी तीन व्यक्तियो की छाप पडी विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की सौन्दर्यानुभूति और काव्य-हृदय, अपने पिता १० मोतीलालजी नेहरू की शालीनता और उदारता और बापू का सेवामयी मार्ग भारतीय जनता को उन्नत बनाने की तीव्रतम महत्वाकाक्षी भावना गाधीजी के चरणो मे बैठ कर ही सीखी। राष्ट्रपिता गाधीजी से देशभक्ति की भावना उदित हुई।
हमारे चरित्र नायक लालाजी के जीवन पर भी कतिपय महान व्यक्तियो की अनुपम छाप है। पजावकेसरी ला लाजपतरायणी से निर्भीकता और कर्तव्य-परायणता। विश्व के लोकप्रिय नेता प० जवाहरलालजी नेहरु से लोकसेवा और शुभ्र धवलमय खद्दर के वस्त्रो को धारण करना। इन दोनो नररत्नो के चरित्र से न मालूम देश के कितने युवक देश-सेवा के मार्ग में अग्रसर हुए । लालाजी को भी देश सेवा का व्यसन दोनो महान पुरुषों के निर्मल चरित्र से ही प्राप्त हुआ।
समाज-सेवा की प्रेरणा त्यागमूर्ति ७० सीतलप्रसादजी से और जैनधर्म प्रचार की धुन स्वनामधन्य विद्यावारिधी वैरिस्टर चम्पतरायजी से सीखी।
इनकी माता और वर्णीजी का प्रभाव भी आपके जीवन पर अद्भुत पडा जिसके फलस्वरूप लालाजी देश और समाज-सेवा के लिए प्रेरित हुए।
चरित्र चक्रवर्ती प्राचार्य शान्तिसागरजी महाराज, आबू के योगी शान्तिविजयजी और आर्यसमाजी विद्वान सत्यदेवजी का प्रभाव भी आपके जीवन पर हुआ। फलस्वरूप लोकमेवी बन गए और सदैव भावना रखने लगे।
न व कामये राज्य न स्वर्ग नापवर्ग का, कामये दुःख तप्ताना, प्राणिनामातं मभवे ।
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