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आदर्श सामूहिक विवाह
- श्री गोकुलप्रसाद जैन, दिल्ली आदर्श विवाह योजना की समाज में बडी आवश्यकता है। यह प्रथा नामधारी सिक्खो और दूसरे सम्प्रदायो मे बहुत समय से प्रचलित है। परन्तु जैन समाज में इस आदर्श प्रथा को लाने का श्रेय बैरिस्टर जमुनाप्रसादजी को है 1 द्रोणगिरि पचकल्याण के अवसर पर मै गया था वहां १६ विवाह योग्य वर-बधू बने ।
जब उनके विवाह का आयोजन किया गया तो प्रतिक्रिया विचारधारा वाले व्यक्तियो ने इसका खुलकर विरोध किया। वे नहीं चाहते थे कि यह कार्य मेले में सम्पन्न हो । परन्तु बैरिस्टर साहब इस कार्य के लिए तत्पर थे। जैन मिशन के कार्यकर्ताओ ने इस कार्य मे पूर्ण सहयोग प्रदान किया और मेले के वाहर जगल की मनोरम भूमि मे १६ विवाह सानन्द सम्पन्न हुए । लाखों स्त्री-पुरुष बिना आमन्त्रण दिये वहां पहुंच गये। उनकी शोभा-यात्रा बडी सुन्दर ढग से पढी। मेले मे आये हुए स्त्री-पुरुषो ने इस कार्य मे पूर्ण सहयोग प्रदान किया। धीरे-धीरे यह प्रथा समस्त मध्य भारत मे फैल गई। देहली में भी परिषद के तत्वावधान मे चार विवाह सामूहिक रूप से सम्पन्न हुए। केन्द्रीय लोकसभा के अध्यक्ष श्री प्रायगर साहब ने सभी को सुन्दर आशीर्वाद दिया और इस प्रथा को प्रोत्साहन देने के लिए जनता से अपील की । ला० तनसुखरायजी को भी इस कार्य में विशेष रुचि थी। उन्होने इस आन्दोलन को प्रोत्साहन देने मे बडी सहायता प्रदान की । इस आन्दोलन का सक्षिप्त परिचय इस प्रकार है ।
समाज मे आदर्श विवाहो की प्रथा को योजनाबद्ध रूप से चलाने का सम्पूर्ण श्रेय जैन समाज के मान्य नेता स्व० बैरिस्टर जमनाप्रसादजी को रहा है। आप ही इसके प्रवर्तक थे और आपने ही जीवन पर्यन्त इसे सफल नेतृत्व प्रदान किया। मध्य प्रदेश मे आपकी छत्रछाया मे इस प्रकार के हजारो विवाह सम्पन्न हुए है।
__ प्रचलित विवाह रूप की इसी बुराइयो ने हमारे मान्य नेता श्री जमनाप्रसादजी को सामूहिक आदर्श विवाह पद्धति चलाने के लिए प्रेरित किया था। वैवाहिक कार्यों के सुधार का सर्वप्रथम प्रयास तो वैरिस्टर चम्पतरायजी ने किया था जिसमे उन्होने अनेक प्रचलित रूढियो को तोडा था। समाज में और भी स्थान-स्थान पर ऐसे विवाह होते आये है जिसमे समाज ने दहेज और फिजूलखर्ची के जुए को उतार फेका था। परिवर्तित परिस्थिति और सामाजिक जागरण ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। व्यवस्थित रूप से सामूहिक आदर्श विवाह योजना को समाज मे प्रचलित करने का सारा श्रेय समाज और परिषद के स्वर्गीय नेता सन्मार्ग प्रवर्तक बैरिस्टर जमनाप्रसादजी कलरैया (नागपुर) को है। उन्होने परिषद के जबलपुर अधिवेशन के अवसर पर सर्वप्रथम इस योजना को कार्यान्वित किया था। घोर विरोध का सामना करने हुए भी जिस महान कार्य का उन्होने बीडा उठाया था, उसमे वे लगे रहे और इसे पूर्ण सफल बनाया।
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