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________________ के लिए सिरोही स्टेट के निरकुश अधिकारियो ने जैन जनता पर अधिकाधिक अत्याचार करने की घृणित नीति को प्रस्तयार कर लिया है और वे बरावर वार पर वार करते ही चले जा रहे हैं । जैन समाज के बच्चे-बच्चे को यह जान कर महान् दुःख होगा कि भावू भन्दोलन के कुचलने के हेतु अभी अभी जावाल के जैन मंदिर में स्थित श्री नेमीनाथ की सांगोपांग भव्य एवं सुन्दर मूर्ति के टुकड़े टुकड़े राज्य के अधिकारियो ने अपने सहयोगियों से करवा डाले और मंदिरजी के सामने एक भैसा कटवाकर उसके रक्त से मंदिर की दीवारों सुखं करदीं। क्या इस प्रकार के अपमानजनक अत्याचार को जैन समाज सहन कर लेगा और चुपचाप मूर्तियों का अपमान होते देखता रहेगा ? आये दिन जैन समाज की उदासीनता से तो यही पता चलता है कि वे कुछ कर सकने मे अपने को सर्वथा असमर्थ पाते है । हम अहिंसक जरूर हैं पर क्या हमें इस प्रकार के निरन्तर होने वाले अत्याचारो के निराकरण के लिये खून का घूंट पी कर चुपचाप बैठे रहना चाहिए ? वह तो अपने स्वत्वो की रक्षा के हेतु करने की इजाजत देती है फिर क्या कारण है कि हमारे दिनो में स्वत्व प्राप्ति के हेतु किसी प्रकार मी उथल-पुथल नहीं मचती । जैन समाज को यह जान कर अतीव श्राश्चर्य होगा कि ऑ श्रोंदोलन का साथ अ० मा० हिन्दू महासभा, प्र० भा० हिन्दू धर्म सेवा संघ कलकत्ता, भारत सेवाश्रमं कलकता, बंगाल प्रातीय आर्य प्रतिनिधि सभा, संन्यास आश्रम गया, कन्या गुरुकुल भैंसावल, कन्या गुरुकुल खानपुर, शुद्धि संभा श्रीगरा, श्रद्धानन्द दलितोद्धार सभा देहली, भार्यसमाज हैदराबाद, दयानन्द साल्वेसनं मिशन होशियारपुर, श्रार्य प्रतिनिधि सभा श्रंजमेर, हिंदू सभा अजमेर, हिंदू सभा भोपाल, वनिता विश्राम आश्रम देहली, हिंदू सभा चांदखाली ( वगाल), सी० पी० हिंदू सभा, यू० पी० हिंदू सभी, श्रार्योपदेशक संभों लाहौर, श्री श्रद्धानन्द अनाथाश्रम अजमेर, गुरुद्वारा शिरोमणि सभा अमृतसर, राजस्थान प्रा० हिंदू सभा अजमेर, भार्य प्रतिनिधि सभा करांची, बिहार हिंदू सभा पटनों, प्रताप संभा उदयपुर, अॅ० भा० शुद्धि सँभा देहली आदि कई जैनेतर सभाएँ भारत में अपनी मान-मर्यादा के हेतु तथा स्वत्व संरक्षण के लिए प्रचार कर रही हैं और उपरोक्त सभी संस्थाओं का सहयोग हमें प्राप्त है । पर अफसोस है कि सोती हुई जैन कौम के कानों में जू तक नही रेंगती | समाचार-पत्रों में कितनी ही मर्तबा लिखा गया कि जगह जगह आदू मंदिर टैक्स विरोधी शाखायें सभायें स्थापित करें ब्यावर मे पीसंवृंदा प्रस्ताव का समर्थन करके सिरोही स्टेट भेज दे पर दो ढाई सौ स्थानो के अतिरिक्त अन्य स्थानों से प्रस्ताव पास कराकर नही भेजे गये । जैन समाज की इस उदासीनता को देखकर दुख होता है कि क्या दरअसल में इस संघर्ष के जमाने मे दुनिया के पर्दे से जैन समाज का अस्तित्व नष्ट जायगा । इस सम्वन्ध मे डेपुटेशन बनाकर जगह-जगह दौरा किया | इस सम्बन्ध मे लगातार नांदोलन चलता रहा। डेपुटेशन कई बार दीवान साहब से मिला परन्तु मंदिरों के दर्शनों से प्राप्त हुई श्रांय का लोभ वे भी न रोक सके । किन्तु जनता की प्रबल माँग और जैन समाज के जागृत हो जाने के कारण वे सब अधिकारी यह भी अनुभव करने लगे कि यह टैक्स लेकर हमें जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं । १९४२ में देश [ २३१
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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