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का प्रचार बढ़ रहा है। आज हमे अधिक से अधिक मूल्य पर भी शुद्ध दूध और घी मिलना असम्भव सा हो गया है।
दूध मे पाऊडर और घी मे वनस्पति तेल की मिलावट से आज शुद्ध दूध व घी नहीं मिल रहा है । पहले तो यह पाऊडर और वनस्पति तेल विदेशो से आता था किन्तु दुर्भाग्यवश आज वनस्पति तेल की भारत में भी कई मिलें बन गई है, जिससे घी के व्यापारी और दलाल शुद्ध घी मे वनस्पति तेल (जो जमाने या अन्य प्रयोगो से धी जैसा बन जाता है) आसानी से मिला सकते है।
वनस्पति घी के सस्ता होने के कारण उसे शुद्ध घी मे मिला कर वेचने से व्यापारियो को बहुत अधिक लाभ होता है । डाक्टरो के कथन के अनुसार वनस्पति घी असली घी का कभी स्थान नहीं ले सकता। वनस्पति घी धीरे-धीरे मनुष्य में भयानक रोगो को उत्पन्न कर देता है। वनस्पति घी की शुद्ध घी में मिलावट के कारण जनता अब वनस्पति घी को ही अधिक खरीदने लग गई है, क्योकि जनता को शुद्ध घी कह कर मिलावटी घी बहुत अधिक मूल्य में दिया जाता है । इससे उनके स्वास्थ पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है । यदि वनस्पति घी का इसी प्रकार प्रचार वढता रहा तो पशुओ की कोई आवश्यकता नहीं रह जायगी और भारत से पशु-धन नष्ट हो जायेगे । दूध-धी-माखन मे मिलावट के कारण हालत बहुत बुरी हो गई है । इस अवस्था को देखते हुए देहली में अ. भा. दूध-धी-माखन मिलावट निषेध कान्फ्रेस २१, २२ फरवरी को करने का आयोजन किया गया है । इस आन्दोलन से सव बडे-बडे नेताओ और महात्मा गाधीजी की भी महानुभूति है। इस कान्फ्रेस में देश के बडे-बड़े नेताओ के पधारने की आशा है।
अ०भा० दूध-घी-मक्खन मिलावट निषेध सम्मेलन
अध्यक्ष
श्री सेठ शांतिदास प्राशकरणजी - श्री सेठ शान्तिदासजी माशकरण, मेम्वर कौसिल आफ स्टेट बम्बई के सभापतित्व में बडी सफलतापूर्वक हो गया । सभापति जी ने अपना व्याख्यान अग्रेजी मे दिया था जिसका सार निम्न प्रकार है --- सभ्य गृहस्थो।
__ मै अपना वक्तव्य अग्रेजी मे पढ़ना चाहता था किन्तु स्वायतकारिणी की सूचना और जनता की सहूलियत के लिये मै अपने कुछ भाव हिन्दी में भी आपके सन्मुख रख रहा हूँ। ..... मेरी भाषा गुजराती है, अत हिन्दी पढ़ने में कोई त्रुटि हो तो क्षमा करे।
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