________________
यान के साथ पास किया और उन भाइयों के वास्तविक अधिकार को देने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया । १९३८ में हस्तिनापुर मे जो परिषद का अधिवेशन हुआ और उसमे दस्सा पूजन श्रधिकार प्रस्ताव रक्खा गया तो कितनी उथल-पुथल हुई । उसका सक्षिप्त विवरण प्रकट करते हैं जिनमे भावी कार्यकर्ता समझें कि श्रेष्ठ सुधारको को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पडता है।
I
श्री हस्तिनापुर क्षेत्र पर अखिल भारतवर्षीय दि० जैन परिषद की भोर में कान्फेस ४ तारीख से प्रारम्भ हुई । इम माल विशेपनीर से जनता कान्फ्रेंस के कारण पिछले साल से दुगुनी थाई थी । वीर सेवक सघ रोहतक, प्रेममण्डल गोहाना, सेवा सघ छपरौली, जैन स्कूल astत, जैन सेवकमण्डल वडीत, जैन कालिज एसोसियेशन मेरठ, जैन यगमेन्स एमोसियेशन मिला व न्यू देहली श्रादि वालिटियर कोरो के २०० स्वयंसेवकों के अतिरिक्त और बहुत सो कोरे आई थी । कान्फ्रेंस मे हर रोज ३ हजार में लगाकर ४ हजार तक जनता रहती थी ।
1
चार तारीख को परिपद् की कान्फेस नियमित रूप से प्रारम्भ हुई। प्रातः ही कई सौ श्रादमियो की उपस्थिति मे प्रभात फेरी हुई। दोपहर को एक बजे बा० उलफतराय जी इजीनियर मेरठ के हाथो झण्डा फहराया गया और उन्ही के सभापतित्व मे कान्फ्रेंस प्रारम्भ हुई जिसमे पण्डित शीलचन्द जी न्यायतीर्थ के मंगलाचरण पश्चात् वा० उग्रसेनजी हैडमास्टर ने स्वागत तथा कान्फ्रेंस का उद्देश्य बताया। जैन श्रनाय श्राश्रम छपरोली और वडीत आदि की भजन मण्डलियो के भजनो के पचात् कान्फ्रेंस के मन्त्री मास्टर उग्रमेनजी ने परिषद् परीक्षा बोर्ड के आए हुए सन्देश पढकर सुनाये । उसके बाद भाई कोणलप्रसाद जी दहली ने परिषद् की नीति तथा अब तक की सेवाओ पर और धागे के प्रोग्राम पर प्रकाश डाला | वाद मे पण्डित शीलचन्दजी ने जैन धर्म की उदारता और जैन जाति की मकीर्णता पर सामयिक भाषण दिया । मास्टर उग्रसेनजी की कुछ मामयिक अपील तथा भजनो के उपरान्त शाम को ४ || वजे सभा ममाप्त हुई |
पश्चात् रात को सात बजे से फिर कान्फ्रेंस की दूसरी बैठक मनोनीत सभापति (जो समय पर आ नहीं सके थे) वा० रतनलालजी एम० एल० मी० विजनौर के सभापतित्व मे प्रारम्भ हुई । मास्टर शिवरामसिंह जी के भजन और पण्डित श्रीलचन्दजी के मंगलाचरण के पञ्चात् वा० रतनलालजी का सभापति की हैमियत से व्याख्यान हुभ्रा । पच्चात् श्रीमती लेखवतीजी का परिपद् के अधिक से अधिक मदस्य वनने तथा शाखायें स्थापित करने का प्रस्ताव पेश हुआ और उम पर व्याख्यान हुआ । उसके बाद स्वामी कर्मानन्दजी ने प्रस्ताव के समर्थन में एक व्याख्यान दिया इसके बाद श्री भन्नूलालजी जौहरी की कविता हुई और ग्राज की कार्यवाही समाप्त हुई ।
ता० ५ को फिर प्रभात फेरी हुई और दोपहर को १२|| वजे से मास्टर शिवरामसिंह जी रोहतक के भजनो तथा प० गोलचन्दजी न्यायतीर्थं खतौली के मंगलाचरण के साथ कान्फ्रेंस की कार्यवाही श्रारम्भ हुई। श्री अयोध्याप्रसाद गोयलीय ने वस्सा पूजाधिकार वाला प्रस्ताव प्रोजस्वी भाषण के बाद पेश किया। अखिल भारतवर्षीय दि० जैन परिषद् ने अपने खण्डवा अधिवेशन मैं दस्सा पूजाधिकार का जो प्रस्ताव पास किया है उसे यह हस्तिनापुर क्षेत्र को जैन कान सम्मानित और घाटर की दृष्टि से देखती हुई सहारनपुर मोहल्ला चौधरान, वडीत, कान्ला, गोहाना, धामपुर, नजीमाबाद, सिकन्दरपुर कला, शामली, अलीगंज, बड़ागांव, पानीपत, बिजनौर
२४८ ]