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प्रार्थना
महावीर
स्वामी
भासरा तेरा
है ।
कि गुमकरदा' मंजिल का तू रहनुमा है ॥ १ ॥
तू है केवल ज्ञानी तु ही जानता है । मुकद्दर मे जो कुछ कि लिक्खा हुआ है ॥२॥
तू मालिक है अपना तू का है अपना । है सहारा तेरा है ॥३॥ तेरा वसीला
किनारे से हमको लगादे ए स्वामी । तू कस्तिए उम्मीद का नाखुदा है ||४||
गरज द्वेष से है न है राग से कुछ । तेरा शीशए दिल खुदी से सफा है ||५||
मुजस्सिम है तू शाने वहदत का पुतला । मेरा हुन साचे मे गोया ढला है ||६||
न होगी कभी भूल कर जीव हिंसा । दया का सबक हमको तूने दिया है ॥७॥
करम कर तू मुझ पे में हू 'दास' तेरा । यह दस्तवस्ता मेरी इल्तजा है ||५||
हृदय की तान
हृदय मे गूंजे ऐसी तान ।
न्याय मार्ग से नही डरें हमे, अनुत्साह को नही घरें हम, प्राणी मात्र से प्रेम करें हम, करें देश उत्थान, हृदय मे गूजे ऐसी तान
दीनो के सब दुख दूर हो, कार्य क्षेत्र मे सुजूर हो, अन्यायी के लिए क्रूर हो, रक्खें अपनी तान; हृदय मे गूंजे ऐसी तान ।
१ भूला हुआ २ बताने वाला
३ मल्लाह
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