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वह है देश के नव-निर्माण की। आइये आज हम सब बैठ कर इस पुनीत अवसर पर, जब कि भगवान महावीर स्वामी के जीवन चरित्र से हमे एक नई रोशनी और प्रेरणा मिल रही है, प्रतिज्ञा करे कि हम देश का मान स्तर ससार मे सर्वाधिक ऊंचा करेंगे, ताकि अहिंसा की वह ध्वजा ससार मे सर्वोन्नत होकर गर्व से लहराये ।
आज देश एक भयकर दौर मे से गुजर रहा है। देश को उत्साही, कर्मशील और ईमानदार व्यक्तियों की श्रावश्यकता है । यह कार्य हम कहा तक पूरा कर सकते हैं? यह हमे सोचना होगा । हमने श्रव तक हर कार्य मे प्रमुख भाग लिया है और हर आपत्ति का डट कर मुकाबला किया है। विशेषकर ऐसी हालत मे जब कि दहकती भाग में कूदने के लिये कोई तैयार नही होता था । किन्तु श्राज तो हमारा और भी अधिक कर्तव्य हो जाता है । इमी बात ने हमे श्राज तक जिन्दा रखा है । यह हमारे लिये एक मूल मन्त्र है ।
जेन भाइयो से अपील
अन्त मे मैं अपने भाइयो से एक अपील करूंगा कि केवल जैन परिवार मे उत्पन्न हो जाने से ही हम जैन नही हो जाते। हमे चाहिये कि हम जैनत्व के मुख्य चिन्ह, उमके आदर्शों और सिद्धान्तो का पालन न करे, तो मैं यह हरगिज मानने के लिये तैयार नही । मनुष्य उसके नाम व रग से नही पहचाना जाता, वल्कि वह उसके श्राचरणी और कर्तव्यों से पहचाना जाता है ।
मैं प्रार्थना करूंगा कि जो भाई अव तक अपने को इस घोर उदामीन समझते हैं, यागे श्रायें और इस पावन दिवस पर प्रतिज्ञा करे कि अपने खाली समय मे कुछ न कुछ समय जरूर भगवान महावीर के सदेव को कार्यान्वित करने के लिये देगे - जय जिनेन्द्र
महावीर जयन्ती पर देश के नवनिर्माण के लिये प्रतिज्ञा करें
यह सर्वविदित है कि जैन धर्म किसी एक व्यक्ति विशेष का नही अपितु उस हर व्यक्ति का है जो अपनी इन्द्रियों पर काबू पाकर सासारिक वासनाम्रो को जीत सके । उसे "जिन" (इन्द्रियो को जीतने वाला) या जैन कह सकते है ।
जैन धर्म एक सार्वजनिक धर्म है और मनुष्य मात्र इसको अपना सकता है । यह ease नही कि वह किस जाति, सम्प्रदाय अथवा समाज से ताल्लुक रखता है, बल्कि जो उसके सिद्धातों मे विश्वास रखता है श्रीर उनका पूर्णरूपेण पालन करता है वह जैन है ।
'जीओ और जीने दो' का सिद्धात मानव-जाति के लिये श्रमूल्य और एक नई रोगनी देने वाला है । यही कारण है हमारा भारत ससार मे इस सिद्धात को पूरा करने मे अग्रणी रहा है । यही सिद्धात श्राज से बहुत समय पूर्व भगवान महावीर ने अपने सदेश में दिया और इस
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