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स्वतन्त्र है, हमारा कर्तव्य क्या हो जाता है ? देखना अब यह है । केवल जलूस या जलसे मात्र से तो हमारे काम की इतिश्री नहीं हो जाती है अपितु एक जिम्मेदारी और भी वढ जाती है और वह है देश का नव-निर्माण। आइए, आज हम सव बैठकर इस पुनीत अवसर पर, जबकि भगवान महावीर स्वामी के जीवन-चरित्र से हमे एक नई रोशनी व प्रेरणा मिल रही है, प्रतिज्ञा करे कि हम देश का मान-स्तर ससार मे सर्वाधिक उचा करेंगे ताकि हिसा की वह ध्वजा ससार मे सर्वोन्नत होकर गर्व से लहराया करे।
भगवान महावीर और अहिसा
भगवान महावीर की अहिंसा का पाठ आज विश्व मे फैला हुआ है और इससे भी इकार नही किया जा सकता कि भारतीय स्वातत्र्य संग्राम मे इसी अहिंसा-शस्त्र की तीक्ष्ण धार के सम्मुख बृटिश साम्राज्य भी नही ठहर सका।
___ भगवान महावीर इसके प्रवर्तक थे । उनकी वाणी, मन और कर्म में अहिंसा की भावना व्याप्त थी जिसने ससार को एक कर्मशीलता और विश्ववन्धुत्व की प्रेरणा दी। निसन्देह जैन समाज उसी का अनुयायी है । हम चाहते हैं जैन समाज उनके पदचिह्नो पर चलकर मानवता की भावनानो और उनके सन्देशो का प्रतिपादन करे। अधिक विवाद मे न पड कर इतना ही कहना काफी होगा।
आज जैन समाज और अहिंसा के अनुयायी तीर्थकर भगवान महावीर का जन्म दिवस मना रहा है। यह वडी प्रसन्नता की बात है। उनके सन्देश की रोशनी मे देश की उन्नति हो, यह हमारी कामना है।
महावीर जयन्ती पर मरकारी सुट्टी न होने से कुछ विवाद-सा छिड गया है और जैन समाज ने इसके लिए भारत सरकार से माग की है। सरकार यदि सम्भव समझती है तो अवश्य ही इस ओर कदम उठाया जाना चाहिए ।
महावीर क्या थे
भगवान महावीर के विषय मे कुछ प्रमुख विद्वानो के कथन इस प्रकार है :
"भगवान महावीर अहिंसा के अवतार थे। उनकी पवित्रता ने ससार को जीत लिया था ।..... महावीर स्वामी का नाम यदि इस समय किसी भी सिद्धात के लिए पूजा जाता है तो वह अहिंसा है । • "प्रत्येक धर्म की उच्चता इसी बात मे है कि उम धर्म मे अहिंसा तत्व की प्रधानता हो । अहिंसा तत्व को यदि किसी ने अधिक से अधिक विकसित किया है तो वे महावीर स्वामी थे।"
-महात्मा गान्धी १८२]