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प्रकाम कर दिया। मंसा के म महान् शान्निशरी का यह उन्न एक प्रनाला है। इन कानिकारी ने जिन अान्दोकगं उनान्न क्रिया, 8 बार में अनेकों युगों तक मार को नाय प्रदान करना रहा।
मावुनी गे रक्षा, दुष्टों का बिनाम और यमं की रक्षा के लिए आज ने दाई हज़ार वर्ष पूर्व जिन महापुन्य ने इन्म लिया, उनका नाम है भगगन नहावीर।
भगवान महावीर का जन्म एक गमधुन में हमारा मनुष्यों और भूमि पर गम कन्ना उनका कुन-धर्म था किन्नु देग और मसाज जी जो स्थिति उन मम्मुन्द्र ी, उसने उन्हें अवर कर टिग । बाह्य पत्रों को जानने के न्यान पर उनकी आमा नै अल आन्तकि आग में प्रगडिन कर एक ऐमा मागं टुंदनं । निश्चय क्रिग जिम बाग सारे गंमार का कल्या मम्भव हो सकता था। उन्होंने मान लिए गेम गर का नाम म्यिा, दो मंजर और अनरहो।
फरत्रव्य ३० व्यं की मायु ने नांग में मुंह मोड़कर ग्रानं जंगलों में गणि और वर्ष के कठोर नप के रचान उन मन्य नीबोन ने मन्न हो गए, जिमी नदिक लिए आर ग्लगील थे और बचपन में ही जिवके लिए भारले नन में अर्थता । अहिंसा का अपूर्व सन्देश
अहिमा की जो गति बद के युगों में युद्ध, ईया, गान्धी इत्यादि महाटगे ने बगाग, उमना नवरयन जगाने का मामाग्य नगगन महावीर न्गी को ही है । अहिमाई इम पूर्व मन्टेग का काम फैलाकर अपने पशुओं और मनुष्यों की बटि के कनुपिता कृष्ण को गंगा और गिमात्र को प्रेम की दृष्टि से देवनं की निक्षा मंना को ममी ।
समाज में फैली केंत्र-नीत्र की नावना र माग्ने जो कुटानात किय. उमगवानविन महन्त नो वर्ग-बिहीन समान की स्थापना के उन्नान युग में ही मनी-मार का सामना है। इस दिशा में भी एक नये गुन्ग का नाम र आने नागजिन ननुप्य नजान हैं। न कोई वर्ग वा व्यक्ति कंत्रा है और न कोई नोचा। न्नं ने ही यंत्र व्यक्ति की योग्यता प्रकट होती है । "प्रान्यवन् पई नषु गिना दान कर आने नाम कि जाति, रंगेन्द्र, देगनेट और अन्य प्राधिक नदी के नाम मनुष्यों गचा-नीच नहीं माना जा सकता । 13 मनुष्ग में मन्यना ने बग्नना आवश्यक है।
आ उन उपम में उन्नर्गन ही बी-जानि के पुन्पों में समान अधिकारी घोषणा की और उन्हें मान प्राति का पूर्व गिरी बाग। इन कार मात्र ग्य का जा चक्र महिमा के कारण दुर्वन्न होता जा रहा था, उसे पुनः पुष्ट बनाने की चेष्टा की गयी ।
लोक-कल्याण के लिए भगवान् महावीने जिम नाग-पुंज को गहिन निग, उसकी को धागएँ हैं। ये ग्राज नी हमारे जीवन-मार्गों को प्रकाचिन करती हैं। मन में कुछ १५.]