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इसी पावन तिथि को २४९१ वर्ष पूर्व विश्वोद्धारक भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था | इस अनुपम विभूति ने अपने आदर्श, त्याग, दुद्धर तपश्चर्या से जो उस समय लोक सेवा की थी । सत्रस्त भारत मे सुख-शाति की जो स्थापना की थी, उसी पवित्र स्मृति मे भगवान महावीर के निर्वाण प्राप्त होने पर यह दीपावली महोत्सव किया गया था। इसी रोज गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था और इसी रोज सुधारक शिरोमणि स्वामी दयानन्द स्वामी स्वर्गासीन हुए थे ।
अत दीपावली महोत्सव सनातन जैन और आर्य सभी लोगो का महान त्योहार है १ इस त्योहार के आने से महीनो पूर्व तैयारिया होने लगती है । बालक, युवा, वृद्ध सबके हृदय - कमल खिल जाते है । भारत की लक्ष्मी भारत मे ही रहे इसी भावना के वशीभूत होकर प्रत्येक हिन्दू नरनारी उसकी आराधना करते है । भगवान वह सुनहरा प्रभात न जाने कब दिखायेंगे जब हम अपनी भारत मा को परतन्त्रता के बन्धन से मुक्त करके उसके मस्तक पर दीपावली का मुकुट अभिषिक्त करेगे ।
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कथनी और करनी में समानता लाइये
भगवान महावीर का जन्म-दिन मनाने का उत्तम ढंग
किसी भी महापुरुष का जन्मोत्सव मनाने का सबसे उत्तम ढग क्या है ? बड़े-बड़े मेलो, उत्सवो और कार्यक्रमो इत्यादि का आयोजन श्रथवा महापुरुष की जीवनी, उसके उपदेशो इत्यादि के सम्बन्ध मे व्याख्यान, भाषया इत्यादि की व्याख्या । आमतौर पर हम इसी प्रकार महापुरुषो का जन्मोत्सव मनाते है |
किन्तु मेरे विचार मे एक अन्य ढग से भी इस प्रकार के जन्म दिन मनाये जा सकते है । यह ढंग है महापुरुषो के जिन विश्वासो मे हम श्रद्धा रखते है, उन्हें अपने जीवन में ढालने अथवा अपनाने की चेष्टा । किन्ही भी उत्सवो, मेलो इत्यादि के प्रयोजन से यह ढग किसी भी प्रकार कम महत्वपूर्ण नही ।
आइये, आज जब हम भगवान् महावीर स्वामी का जन्मोत्सव मना रहे है, तब देखे कि इस दिशा मे क्या कुछ कर सकते है ।
हिसा
सबसे प्रथम हम अहिंसा को लेते है । श्राज जो देश और समाज उन्नत है, उनकी सफलता का मुख्य कारण यही है कि 'अहिंसा' मे हमारे समान श्रद्धा न रखते हुए और उसके
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