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श्री महावीर जयन्ती मनाने के कुछ वर्षों बाद हम लोगो के दिलो मे यह विचार पैदा हुए कि श्री महावीर जयन्ती का नये ढग से बड़े पैमाने मे (विराट जलूस) निकाला जाये जिसके द्वारा जैन धर्म के प्रचार मे और वढोतरी हो। लेकिन वर्षों तक दिल्ली जैन समाज के अलग २ विचारो के कारण इस कार्य में सफलता प्राप्त न हो सकी यह मामला झगड़े में पड़ा रहा। लेकिन इस कार्य को असली जामा पहनाने लाने के वास्ते दिल मे सच्ची लगन व धुन लगी हुई थी, विचार किया कि इस कार्य में किस प्रकार कामयाबी (सफलता) प्राप्त हो सकती है । आखिरकार मैने मापसे श्री महावीर जयन्ती के जलूस निकालने के बारे मे मशवरा किया,
आप इस कार्य के वास्ते स्वय तैय्यार हो गये, चुनाचे जैन मित्रमडल दिल्ली की कार्यकारणी कमेटी ने महावीर जयन्ती का जलूस निकालने की मजूरी दे दी। और जलूस के निकालने की बागडोर स्व० श्रीमान ला० तनसुखराय जैन ने अपने हाथ मे ले ली। और आपके बतलाए हुए ढग के मुताविक जलूस की तैय्यारी की गई। . ... की कम्पनी वाग (.......) से बड़े-बडे ऊचे झडो आदि के साथ "श्री महावीर जयन्ती की छुट्टी होनी चाहिये" के नारो के साथ जलूस बडी धूम-धाम के साथ निकाला गया तमाम बाजार झडी आदि से सजे हुये थे, और उस रोज देहली के तमाम बाजार वद रहे, भूखो को खाना खिलाया गया। महावीर जयन्ती की छुट्टी का प्रस्ताव पास किया गया, सब से पहले जैन मित्र मडल दिल्ली ने ही महावीर जयन्ती का जलसा व जलूस तथा महाबीर जयन्ती की छुट्टी मागने का आन्दोलन भारत वर्ष में शुरू किया था जिसके कारण अव गाव-गाव में महावीर जयन्ती मनाई जा रही है और बहुत से प्रान्तो मे महावीर जयन्ती की छुट्टी होने लगी है। यह था ला• जी की बहादुरी व निडरपन का कार्य जिससे सदा के लिये जैन समाज के बच्चे २ के दिलो से डर निकला और यही कारण है कि प्राज विल्ली में बहुत बड़े पैमाने के रूप में श्री महावीर जयन्ती का जलूस निकाला जाता है।
आप भारतवर्ष दि० जैन परिपद के भी महामन्त्री रह चुके है। मुझे भी परिषद के कार्यों से बड़ी दिलचस्पी रही है, चुनाचे सन १९४० मे जब भारतवर्ष दि० जैन परिषद का सालाना अधिवेशन झासी मे हुआ था तब मै भी देहली से उनके साथ गया था। परिषद के पडाल मे जब रात्रि को जलसा हो रहा था तब जैन समाज के कुछ भाइयो ने झगडा शुरू कर दिया कि परिषद का जलसा न होने पाये।
तब भी आपने बडी होशियारी व बहादुरी से किसी बात की परवाह न करते हुए भीड मे वडी हिम्मत व बुद्धि के साथ निडर होकर स्टेज पर खडे होकर पब्लिक को शात किया और परिषद के सालाना अधिवेशन मे शान्ति के साथ सफलता प्राप्त हुई।
दिल्ली मे जव अखिल भारतीय दि. जैन महासभा का सालाना अधिवेशन स्वर्गीय श्रीमान दानवीर ला० सेठ हुकम चन्द जैन इन्दौर निवासी के सभापतित्व में हुआ था, तव भी जैन समाज को परिषद के कार्यों के बारे मे भडकाया गया था, उस समय भी आप किसी से न डरे माप परिषद के प्रसूलो पर डटे रहे और निडर होकर श्री ला० सेठ हुकमचन्दजी जैन आदि के मुकावले मै खुद जोर शोर के साथ भाषण दिया और वतलाया कि परिपद जो कार्य कर रही है ५४]