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समर्पण
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महात्मा टॉड ने राजस्थान का इतिहास लिखकर . भारत का उपकार किया है । उनको सब जानते हैं, पर जो वास्तव में उसके मूल हैं, जिन्हें कर्नल टॉड ने स्पष्ट रूप में अपना ऐतिहासिक गुरु स्वीकार किया है, जिनके पाण्डित्य की उसने भूरि-भूरि प्रशंसा की है; पर जिन्होंने स्वयं अपने को परिचित और प्रसिद्ध बनाने की कभी चिन्ता नहीं की, जो अद्यावधि हम सब के निकट श्रज्ञात् हैं । और जिनका वास्तव में इतना उपकार हम सब पर है कि उनकी स्मृति में ग्रन्थमाला निकाल कर, पुरातत्त्व विभाग आदि खोल कर भी हम उऋण न हो सकें, जिनका स्मारक हम खड़ा कर सकें तो भी थोड़ा है, और जिनको भूलकर ही हम, उलूक वाहन लक्ष्मी के उपासकों ने अपनी 'कृतज्ञता का परिचय दिया है ? जो लेखक के इस श्रम
के स्रोत और इस पुस्तिका के यथार्थ जनक हैं; उन स्वर्गीय राजस्थानीय. यती श्री ज्ञानचन्दजी जैन की पवित्र स्मृति में एक भक्त "दास" द्वारा समर्पित ।